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Rahul Vangmaya Jeevani Aur Sansmaran Part-2 (4 vols)
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Rahul Vangmaya Jeevani Aur Sansmaran Part-2 (4 vols)

by Rahul Sankrityayan
4.8
4.8 out of 5

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Creators
Publisher Radhakrishna Prakashan
Synopsis राहुल जी ने जो जीवनियाँ लिखीं, उनमें से अधिकांश के चरित नायक उनके घनिष्ठ रहे हैं। इस नाते वे उन चरित नायकों के जीवन के क्रमिक विकास, उनके बचपन, शिक्षा, व्यक्तिगत विशेषताओं, सामाजिक-राजनीतिक सम्बन्धों आदि का तथ्यपरक विवेचन प्रस्तुत कर सके हैं। दूसरी ओर ऐसे जननायकों की जीवनियाँ हैं, जिनके विचारों और चारित्रिक विशेषताओं से प्रभावित होकर, उनके विषय में विशेष रूप से पढ़-पढ़कर उन्होंने लिखा। इस भाग में संकलित स्तालिन साम्यवादी व्यवस्था को आर्थिक रूप से मजबूत करने और उसे फासिस्टवाद के घातक संकट से पार कराने का महत्त्वपूर्ण कार्य करनेवाले व्यक्ति स्तालिन की जीवन-कथा है। स्तालिन का जीवन पुराने युग के विनाश और नये युग के विकास की कहानी है। सर्वहारा के दृढ़ वर्ग-संघर्ष, सर्वहारा की वर्गीय पार्टी के गठन, पार्टी के नेतृत्व में सर्वहारा वर्ग, किसानों तथा अन्य मेहनतकश जनता की एकता, रूस में पूँजीवाद और साम्राज्यवाद के अन्त, खेती के सामूहिकीकरण आदि स्तालिन के जीवन के महत्त्वपूर्ण कार्यों के साथ ही रूस की राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक परिस्थितियों का सजीव अंकन राहुल जी ने इस कृति में किया है। माओ-चे-तुंग चीन के राष्ट्रनायक, जनवादी चीनी गणतंत्र के संस्थापक एवं जननेता की जीवनी है। माओ ने 'लांग मार्च’ करके, अनेक कष्ट सहन करके अंत में चीन को निरंकुश शासक के अत्याचारों से मुक्त कराया। इस चरित-नायक के देश-प्रेम, क्रान्तिकारी जीवन-दर्शन, त्याग एवं बलिदान को राहुल जी ने घटनाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है। माओ-चे-तुंग के जन्म, उनके बचपन, तरुणाई में ही राजनीतिक सक्रियता, चीन की क्रान्तिकारी सेना में प्रवेश, मंचू राजवंश के विरुद्ध विद्रोह, कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना का अत्यन्त सटीक वर्णन इस पुस्तक में हुआ है।

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Binding: HardBack
About the author राहुल सांकृत्यायन जिन्हें 'महापंडित' की उपाधि दी जाती है हिन्दी के एक प्रमुख साहित्यकार थे। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद् थे और बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत/यात्रा साहित्य तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए।वह हिंदी यात्रासहित्य के पितामह कहे जाते हैं। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। इसके अलावा उन्होंने मध्य-एशिया तथा कॉकेशस भ्रमण पर भी यात्रा वृतांत लिखे जो साहित्यिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। 21 वीं सदी के इस दौर में जब संचार-क्रान्ति के साधनों ने समग्र विश्व को एक ‘ग्लोबल विलेज’ में परिवर्तित कर दिया हो एवं इण्टरनेट द्वारा ज्ञान का समूचा संसार क्षण भर में एक क्लिक पर सामने उपलब्ध हो, ऐसे में यह अनुमान लगाना कि कोई व्यक्ति दुर्लभ ग्रन्थों की खोज में हजारों मील दूर पहाड़ों व नदियों के बीच भटकने के बाद, उन ग्रन्थों को खच्चरों पर लादकर अपने देश में लाए, रोमांचक लगता है। पर ऐसे ही थे भारतीय मनीषा के अग्रणी विचारक, साम्यवादी चिन्तक, सामाजिक क्रान्ति के अग्रदूत, सार्वदेशिक दृष्टि एवं घुमक्कड़ी प्रवृत्ति के महान पुरूष राहुल सांकृत्यायन। राहुल सांकृत्यायन के जीवन का मूलमंत्र ही घुमक्कड़ी यानी गतिशीलता रही है। घुमक्कड़ी उनके लिए वृत्ति नहीं वरन् धर्म था। आधुनिक हिन्दी साहित्य में राहुल सांकृत्यायन एक यात्राकार, इतिहासविद्, तत्वान्वेषी, युगपरिवर्तनकार साहित्यकार के रूप में जाने जाते है।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Radhakrishna Prakashan
  • Pages: 2155
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788171191864
  • Category: Biographies & Memoirs
  • Related Category: Biographies
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