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Home Nonfiction Biographies & Memoirs Nindak Niyare Rakhiye
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Nindak Niyare Rakhiye
by Surendra Mohan Pathak
4.2
4.2 out of 5
Creators
AuthorSurendra Mohan Pathak
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsisलोकप्रिय फिक्शन के जादूगर कथाकार सुरेन्द्र मोहन पाठक की आत्मकथा के इस खंड में उनके जीवन के उस दौर का वर्णन है, जब वे पाठकों में व्यापक स्वीकृति और प्रसिद्धि पा चुके थे। यह उनका लेखकीय जीवन है जिसमें प्रकाशकों से उनके रिश्ते और प्रशंसकों-पाठकों की बातें आई हैं। गम्भीर और साहित्यिक हिन्दी समाज, लेखकों और पाठकों के लिए इस आत्मकथा से गुजरना निश्चय ही एक समानान्तर संसार में जाना होगा, लेकिन यह यात्रा लगभग जरूरी है। खास तौर पर यह जानने के लिए कि लेखन की वह प्रक्रिया कैसे चलती है जिसमें पाठक की उपस्थिति बहुत ठोस होती है। अपने पाठकों के चहेते लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक की बढ़ती प्रसिद्धि के दिनों के खट्टे मीठे क़िस्से और उनकी दुनियादारी की सत्यकथा। प्रशंसकों की दीवानगी के हैरान कर देने वाले क़िस्सों को उतने ही दिलचस्प तरीके से बयान करती है आत्मकथा की यह तीसरी कड़ी। पाठकों की ही नहीं, प्रकाशकों से भी बनते-बिगड़ते रिश्तों की भी बेबाक यादें शामिल। लेखक कैसे अपने पाठकों के दिलों का बादशाह बन जाता है, एक लेखक के लिए उसके पाठक का क्या और कितना महत्त्व है-जाननने के लिए एक रोचक किताब।.