About the author
हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक, एवं कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य वाचक एवं फ़िल्मों के गीत लेखक गोपालदास नीरज वे पहले व्यक्ति थे जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने पहले पद्म श्री से, उसके बाद पद्म भूषण से सम्मानित किया। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरवाली गांव में 4 जनवरी 1925 को जन्मे गोपालदास ‘नीरज’ को हिंदी के उन कवियों में शुमार किया जाता है जिन्होंने मंच पर कविता को नयी बुलंदियों तक पहुंचाया। यह नीरज जी ही थे जिन्होनें काव्य मंचों को प्रेम व सौंदर्य की खुशबू से महकाया, और गीतों के राजकुमार और गीत ऋषि कहलाये । मंच कोई भी हो बेसब्री से इंतजार तो नीरज का होता था। वह प्रेमगीत व कविता पढ़ते, तो युवा मंत्रमुग्ध हो जाते थे। ‘नीरज’ प्रेम-सौदर्य के ही कवि थे, यह सच नहीं। वे मंचों से अध्यात्म के जरिए दो नस्लों को जीवन का फलसफा समझाने वाले साधक संत भी थे। जैसी लोकप्रियता व प्यार नीरज को मिला, वैसा शायद ही किसी को नसीब होता है।