Synopsisहिंदी के महान कवि और लेखक गोपालदास सक्सेना 'नीरज' का यह संकलन इस मायने में महत्वपूर्ण है कि उन्होंने खुद इन गीतों को चुना है जो उनके दिल के करीब हैं। उनके प्रशंसक निश्चित रूप से इस संग्रह को पसंद करेंगे। पुस्तक में उनकी काव्य यात्रा के विभिन्न चरणों के गीत शामिल हैं, जो 1941 में शुरू हुआ और अभी भी जारी है। नीरज ने अपने काम से हिंदी और उर्दू के अंतर को कम किया है, जिससे दोनों भाषाओं के पाठक उनकी समान रूप से प्रशंसा करते हैं। उनकी कविताएँ आध्यात्मिकता के रूप में कष्टदायी हैं और उनमें असीम मानवीय दृष्टिकोण है, जबकि उनकी शैली उदारवादी दृष्टिकोण से सहज रूप से प्रभावित कर रही है। उनके शब्दों में, "मेरी पसंद की कविताएँ उपन्यास प्रतीकों और तत्वों के साथ जीवन के विभिन्न पहलुओं को सौम्य तरीके से दर्शाती हैं। वे बौद्ध धर्म, सूफीवाद, गीत के दर्शन के साथ-साथ सामाजिक और मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। मेरे गीतों के मूल तत्व प्रेम और करूणा तुम्हारे हृदयों में भी प्रवेश करेगी।”
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Binding: PaperBack
About the author
हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक, एवं कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य वाचक एवं फ़िल्मों के गीत लेखक गोपालदास नीरज वे पहले व्यक्ति थे जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने पहले पद्म श्री से, उसके बाद पद्म भूषण से सम्मानित किया। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरवाली गांव में 4 जनवरी 1925 को जन्मे गोपालदास ‘नीरज’ को हिंदी के उन कवियों में शुमार किया जाता है जिन्होंने मंच पर कविता को नयी बुलंदियों तक पहुंचाया। यह नीरज जी ही थे जिन्होनें काव्य मंचों को प्रेम व सौंदर्य की खुशबू से महकाया, और गीतों के राजकुमार और गीत ऋषि कहलाये । मंच कोई भी हो बेसब्री से इंतजार तो नीरज का होता था। वह प्रेमगीत व कविता पढ़ते, तो युवा मंत्रमुग्ध हो जाते थे। ‘नीरज’ प्रेम-सौदर्य के ही कवि थे, यह सच नहीं। वे मंचों से अध्यात्म के जरिए दो नस्लों को जीवन का फलसफा समझाने वाले साधक संत भी थे। जैसी लोकप्रियता व प्यार नीरज को मिला, वैसा शायद ही किसी को नसीब होता है।