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Gopal Das 'Neeraj' Ki Hastalikhit Kavitayein
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Gopal Das 'Neeraj' Ki Hastalikhit Kavitayein

by Gopaldas Neeraj
4.9
4.9 out of 5
Creators
Publisher Prabhat Prakashan
Editor Pragya Sharma
Synopsis "गोपाल दास ‘नीरज’ (4 जनवरी, 1925-19 जुलाई, 2018) गोपाल दास ‘नीरज’ शिक्षाविद्, फिल्मी गीतकार एवं काव्य मंचों के सक्रिय कवि थे। उनका जन्म इटावा जिले के ब्लॉक महेवा के निकट पुरावली गाँव में बाबू ब्रजकिशोर सक्सेना के यहाँ हुआ था। मात्र 6 वर्ष की आयु में उनके पिताजी का स्वर्गवास हो गया था। पिता के निधन के पश्चात् फूफाजी ने हाईस्कूल तक की उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली, लेकिन संतुलित विकास हेतु एक बालक को शिक्षा के अतिरिक्त भी बहुत कुछ चाहिए होता है, उस ‘बहुत कुछ’ का बालक नीरज के जीवन में सदैव अभाव रहा। एटा में हाईस्कूल की परीक्षा देने के बाद आगे की शिक्षा पूर्ण करने एवं आजीविका की तलाश में उन्होंने बहुत से छोटे-बड़े रोजगार किए। इसके पश्चात् नौकरी करने के साथ प्राइवेट परीक्षाएँ देते हुए उन्होंने प्रथम श्रेणी में हिंदी साहित्य से एम.ए. किया और फिर अलीगढ़ के धर्म समाज कॉलेज में हिंदी विभाग के प्राध्यापक नियुक्त हो गए तथा मैरिस रोड जनकपुरी अलीगढ़ में स्थायी आवास बनाकर रहने लगे। कवि-सम्मेलनों में अपार लोकप्रियता के चलते उनको मुंबई के फिल्म जगत् ने ‘नई उमर की नई फसल’ के गीत लिखने का निमंत्रण दिया। ‘कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे’ और ‘देखती ही रहो आज दर्पण न तुम, प्यार का यह मुहूरत निकल जाएगा’ जैसे गीत बेहद लोकप्रिय हुए, जिसका परिणाम यह हुआ कि वे बंबई में रहकर फिल्मों के लिए गीत लिखने लगे। यह सिलसिला मेरा नाम जोकर, शर्मीली और प्रेम पुजारी जैसी अनेक चर्चित फिल्मों में कई वर्षों तक जारी रहा। बाद में फिल्म नगरी से मन उचाट होने के कारण वे वापस अलीगढ़ आ गए और जीवन के आखिरी समय तक काव्य मंचों पर सक्रिय रहे। उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री के दर्जे पर रहते हुए उन्होंने विविध संस्थानों की सेवा भी की। प्रमुख कविता-संग्रह : संघर्ष, अंतर्ध्वनि, विभावरी, प्राणगीत, दर्द दिया है, बादर बरस गयो, मुक्तकी, दो गीत, नीरज की पाती, गीत भी अगीत भी, बादलों से सलाम लेता हूँ, आसावरी, नदी किनारे, लहर पुकारे, कारवाँ गुजर गया, फिर दीप जलेगा, तुम्हारे लिए, नीरज की गीतिकाएँ, गीत जो गाए नहीं, काव्यांजलि, नीरज संचयन, नीरज के संग-कविता के सात रंग। पुरस्कार एवं सम्मान : भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण (2007) तथा पद्श्री (1991) अलंकरण। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा यशभारती अलंकरण। वर्ष 1970 का सर्वश्रेष्ठ गीतकार श्रेणी का फिल्मफेयर अवार्ड। इसके अतिरिक्त विविध राज्य सरकारों, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित।"

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Binding: HardBack
About the author हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक, एवं कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य वाचक एवं फ़िल्मों के गीत लेखक गोपालदास नीरज वे पहले व्यक्ति थे जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने पहले पद्म श्री से, उसके बाद पद्म भूषण से सम्मानित किया। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरवाली गांव में 4 जनवरी 1925 को जन्मे गोपालदास ‘नीरज’ को हिंदी के उन कवियों में शुमार किया जाता है जिन्होंने मंच पर कविता को नयी बुलंदियों तक पहुंचाया। यह नीरज जी ही थे जिन्होनें काव्य मंचों को प्रेम व सौंदर्य की खुशबू से महकाया, और गीतों के राजकुमार और गीत ऋषि कहलाये । मंच कोई भी हो बेसब्री से इंतजार तो नीरज का होता था। वह प्रेमगीत व कविता पढ़ते, तो युवा मंत्रमुग्ध हो जाते थे। ‘नीरज’ प्रेम-सौदर्य के ही कवि थे, यह सच नहीं। वे मंचों से अध्यात्म के जरिए दो नस्लों को जीवन का फलसफा समझाने वाले साधक संत भी थे। जैसी लोकप्रियता व प्यार नीरज को मिला, वैसा शायद ही किसी को नसीब होता है।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Pages: 120
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9789353225827
  • Category: Poetry
  • Related Category: Literature
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