वे जो लय में नहीं,
उनके सुर में नहीं मिला पाते अपनी आवाज़,
उनमें भी दफ़न होता रहता है एक इतिहास
जिसे पढ़ने वाला
बहिष्कृत हो जाता है
देवताओँ के बनाए इस लोक से,
देवता जो खड़ी नाक और भव्य ललाट के होते हैं
देवता जो विजेता हैं,
जीतने के लिए भूल जाते हैं देवत्व के सारे नियम
अपने यश गान में उन्हें नहीं चाहिए कोई गलत आलाप
एक उपसर्ग मात्र से बदलती है भूमिकाएँ
साल दर साल ज़िन्दा जलाए जाने की तय हो जाती है सज़ा
बस एक अतिरिक्त अ की ख़ातिर
वे जो सुर नहीं रहते हैं
इतिहास में
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रश्मि भारद्वाज की प्रमुख कविताऐं - Kathanak
July 13, 2021 at 6:17 am[…] एक अतिरिक्त अ-1 […]