वह तुम ही हो पिता पति की प्रेमिका के नाम स्त्री कहाँ रहती है वयस में छोटा प्रेयस ईश्वर होती देह वर्जित समय में एक कविता प्रेम में स्त्री अस्सी का दौर और एक अव्यक्त रिश्ते से गुज़रते हुए चंद्रिका…
वह तुम ही हो पिता पति की प्रेमिका के नाम स्त्री कहाँ रहती है वयस में छोटा प्रेयस ईश्वर होती देह वर्जित समय में एक कविता प्रेम में स्त्री अस्सी का दौर और एक अव्यक्त रिश्ते से गुज़रते हुए चंद्रिका…
मृत्यु के पास आने के सौ दरवाज़े थे हमारे पास उससे बच सकने के लिए एक भी नहीं इस बार वह दबे पाँव नहीं आई थी उसने शान से अपने आने की मुनादी करवाई थी उसकी तीखी गंध हवा में…
शहर के बुध्द चौक पर चार दिशाओं में खड़े हैं चार बौद्ध भिक्षुएक साथ, एक दूसरे की पीठ से जुड़े हुएझुके हुए शीश, बंद नेत्र, हाथ क्षमा दान की मुद्रा में उठे हुएउनके चेहरे पर लिखा है घोर विषादशायद यह…
एक दिन आता है जब शरीर सिकुड़ कर अस्थि मात्र रह जाता हैजीवन के हर उल्लास पर भारी हो जाती हैं व्याधाएंस्मृतियाँ लुका छिपी का खेल खेलती हर बार मात दे जाती हैंएक मृत्यु है जिसकी शेष रहती है प्रतीक्षाहर…
पुल की बात करते ही बचपन का एक पुल याद आता हैजो नानी घर जाने के रास्ते में आया करता थाइतना संकरा और इतना कमजोर कि एक रिक्शा भी गुजरता तो हिल पड़ता थाउसपर से गुजरते मैं हमेशा भय से…
फ़ोर बाई फ़ोर के क्यूबिकल में फँसे इंसान को कितना उड़ना चाहिए !ज़्यादा से ज़्यादा उसे देखना चाहिएएक अदद गाड़ी का सपनावह देख सकता है दो कमरों का आधुनिक फ़्लैटऔर सजे-धजे बच्चे भीफिर उसे सोचना चाहिए इ०एम०आई० के बारे मेंसीखना…
बातों की पाँखों पर दुनिया का बसेराबातें जो डैनें फैलातींतो पल दो पल सुस्ताती मुण्डेर परफिर जा पसरती गिरजी चाची की खटिया परसूखती मिरचाई के संगतीखी, लाल, करारी हो उठती बच्चू बाबा के हुक्के में घुसतीधुएँ के नशे में मदमस्त…
मैं असीम आकाश को सौंपती हूँ मेरा निर्णयनदी से कहती हूँ मुझे बताओ कैसे बहना है,सड़क का पत्थर जो असँख्य ठोकरों के बाद भी सलामत है,उसे ज़िन्दगी मुझसे बेहतर जीनी आती हैमिट्टी की ख़ुशबू भर से एक नन्ही बेल बोतल…
तुम्हारे लिखे दो शब्दों के बीच बेख़्याली से जो जगह छूट जायेगी,मैं अपनी कविता के साथ वहां मिल जाया करुंगीउसी जगह, जहाँ तुम्हारे रचे इतिहास से वंचित किए गए लोग रहते हैं,हारे -थके और दमित लोगवहीं, जहाँ उनके आँसू रहते…
एक पुरुष ने लिखा दुखऔर यह दुनिया भर के वंचितों की आवाज़ बन गयाएक स्त्री ने लिखा दुःखयह उसका दिया एक उलाहना था एक पुरुष लिखता है सुखवहाँ संसार भर की उम्मीद समायी होती हैएक स्त्री ने लिखा सुखयह उसका…