रामदत्त जी को ऑटो वाले ने संध्या आश्रम के गेट पर ही छोड़ दिया है। उनकी अटैची नीचे जमीन पर रखी है और वे सामने आश्रम की तरफ देखते हुए सोच रहे हैं- तो…… अब से यही होगा मेरा घर।…
रामदत्त जी को ऑटो वाले ने संध्या आश्रम के गेट पर ही छोड़ दिया है। उनकी अटैची नीचे जमीन पर रखी है और वे सामने आश्रम की तरफ देखते हुए सोच रहे हैं- तो…… अब से यही होगा मेरा घर।…
आखिर फैसला हो ही गया। हालांकि इससे न छोटा खुश है, न बड़ा। बड़े को लग रहा है-छोटे का इतना नहीं बनता था। ज्यादा हथिया लिया है उसने। छोटा भुनभुना रहा है-बड़े ने सारी मलाई अपने लिए रख ली है।…
लंदन से महेश आया हुआ है। यारी रोड का अपना मकान खाली कराने के लिए। दो बरस पहले जब वह हमेशा के लिए लंदन बसने के इरादे से बंबई से गया था वो एक भरोसेमंद एजेंट की मार्फत एक बरस…
बब्बू क्लिनिक से रिलीव हो गया है और मिसेज राय उसे अपने साथ ले जा रही हैं। उन्होंने क्लिनिक का पूरा पेमेंट कर दिया है। – ओ के डाक्टर, तो फिर मै इसे ले जा रही हूं। कोई भी बात…
मैं 1989 से 1995 लगभग 75 महीने अहमदाबाद में रहा। ज्यादातर अकेले ही रहना हुआ। बेशक मैं उस मायने में पियक्कड़ या शराबी नहीं माना जा सकता जिस मायने में यार लोग मिल बैठते ही बोतलें खोल कर बैठ जाते…
मैं 1989 से 1995 लगभग 75 महीने अहमदाबाद में रहा। ज्यादातर अकेले ही रहना हुआ। बेशक मैं उस मायने में पियक्कड़ या शराबी नहीं माना जा सकता जिस मायने में यार लोग मिल बैठते ही बोतलें खोल कर बैठ जाते…
बात शायद 1999 के मुंबई फि़ल्म फेस्टिवल की है। तब तक उसका मुंबई से स्थायी रूप से मोहभंग नहीं हुआ था और वह अपनी रोज़ी-रोटी मुंबई में ही कमा खा रहा था। उन दिनों मेरा ऑफिस मुंबई में वर्ल्ड ट्रेड…
कुंदन आज बहुत खुश है। आज का दिन उसे मनमाफिक तरीके से मनाने के लिए मिला है। खूब घुमायेगा बच्चों को। पार्क, सिनेमा, चिड़ियाघर। किसी अच्छे होटल में खाना खिलायेगा। आज उसे मारुति वैन चलाते हुए अजब-सा रोमांच हो रहा…
शिरीष, कैसे हो! फोटो से तो यही लगता है, आगे के सारे बाल झड़ गये हैं। शायद चांद भी निकल आयी हो। चश्मे का नम्बर तो पता नहीं बदला या नहीं, पर इस फोटो में तुमने जो चश्मा लगा…
धीरेन्द्र अस्थाना को मैं पिछले तीस इकतीस बरस (यह संस्मरण 2005 में लिखा गया था) से जानता हूं या कम से कम जानने का दावा तो कर ही सकता हूं। 1973 के आस पास वह मुजफ्फरनगर से नया नया देहरादून…