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Poem

एक वाक्य / धर्मवीर भारती

चेक बुक हो पीली या लाल,
दाम सिक्के हों या शोहरत –
कह दो उनसे
जो ख़रीदने आये हों तुम्हें
हर भूखा आदमी बिकाऊ नहीं होगा है !

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