Welcome Back !To keep connected with uslogin with your personal info
Login
Sign-up
Login
Create Account
Submit
Enter OTP
Step 2
Prev
Home Literature Novel Talabandi
Enjoying reading this book?
Talabandi
by Prabha Khetan
4.5
4.5 out of 5
Creators
AuthorPrabha Khetan
PublisherVani Prakashan
Synopsisतालाबन्दी उपन्यास में मारवाड़ी व्यापारिक घरानों की जीवन झाँकियों को रेखांकित करते हुए प्रभा खेतान यह बताना चाहती हैं कि समय के साथ उनमें भी बदलाव आया है। परम्परागत और इस मानसिकता के स्थान पर नयी सोच और प्रगतिशीलता ने जन्म लिया है। मानवीय संवेदना का भी संचार हुआ है उनमें। तालाबन्दी में श्याम बाबू के चरित्र से जान जायेंगे कि वह अपने कारखाने की श्रमिक समस्या को हल करने के लिए मार्क्सवाद की शरण में जाते हैं। उनका विचार है कि मार्क्स के सिद्धान्त को समझे बिना भला कोई कैसे निदान ढूँढ़ सकता है! श्याम बाबू का आत्मालाप इस कृति को प्राणवान बनाता है, जो अपने परिवार और कारोबार के घेरों में घिरकर उनसे जूझ रहा होता है। तीसरे स्तर पर श्याम बाबू के इर्द-गिर्द की घटनाएँ निरन्तर ट्रेड यूनियनों की गतिविधियों के माध्यम से उनके दोहरे चरित्र को भी उद्घाटित करती चलती हैं। इनके बीच शेखर दा और मास्टर जी जैसे खाँटी कम्यनिस्टों के प्रेरक चेहरे भी हैं। कुल मिलाकर तिरोहित होती हुई मानवीय भावना के प्रति आशा और आस्था जगाता है यह उपन्यास।