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Sahir Samagra
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Sahir Samagra

by Sahir Ludhianvi
4.8
4.8 out of 5

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Creators
Publisher Rajkamal Prakashan
Editor Aasha Prabhat
Synopsis साहिर लुधियानवी को जनसाधारण आमतौर पर फिल्मों के गीतकार के रूप में ही जानता-पहचानता है। लेकिन तथ्य यह है कि फिल्में उनके जीवन में बहुत बाद में आईं, उससे पहले वे एक प्रगतिशील शायर के तौर पर अपनी बड़ी पहचान बना चुके थे। फिल्मों ने बस उन्हें रोज़गार दिया जिसके जवाब में उन्होंने फिल्मों को कुछ ऐसे अमर उपहार दिए जिन्हें उन्होंने अपने ऊबड़-खाबड़ और गहरी उदासी में बीते जीवन में कमाया था। एक ऐसे परिवार में पैदा होकर, जिसका शायरी और अदब से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं था, और एक ऐसे पिता का पुत्र होकर जिसके साथ उनके सम्बन्ध कभी पिता-पुत्र जैसे नहीं रहे और एक ऐसे समाज में जीकर जिसका सस्तापन, नाइंसाफ़ी और संकीर्णताएँ उनकी उदास आँखों से बचकर निकल नहीं पाती थीं, उन्होंने वह कमाया जिसे भले ही उस व$क्त के आलोचकों ने बहुत मान नहीं दिया, लेकिन जो आम आदमी की यादों में हमेशा के लिए पैठ गया। फिल्मों में आने से पहले ही वे अपने समय के सबसे लोकप्रिय और चहेते शायरों में शुमार हो चुके थे। साहिर की ऐसी कई नज़्में और गज़लें हैं, और गीत भी, जिनमें उन्होंने समाज की आलोचना दो-टूक लहजे में की है। प्रगतिशील आन्दोलन से जुड़े साहिर की चिन्ताओं में गाँव में भूख और अकाल से जूझ रहे किसानों के दुख से लेकर शहरों में भूख के हाथों बिकतीं उन औरतों जिन्हें समाज वेश्या कहता है—तक का दर्द एक जैसी गहराई से आया है, जिसका मतलब यही है कि दुख को देखना, जीना और पकडऩा, शायर के रूप में यही उनका एकमात्र कौशल था, और इसी के विस्तार में उन्होंने हर माथे की हर सिलवट को पिरोकर तस्वीर बना दिया। यह किताब उनकी रचनाओं का समग्र है, अभी तक उपलब्ध उनकी तमाम गज़लों, नज़्मों और गीतों को इसमें इकट्ठा करने की कोशिश की गई है। उम्मीद है दर्द-पसन्द पाठकों को इसमें अपना वह खोया घर मिल जाएगा जो इधर की चमक-दमक में खो गया है।

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Binding: HardBack
About the author साहिर लुधियानवी का जन्म 8 मार्च 1921 में लुधियाना के एक जागीरदार घराने में हुआ था। पिता बहुत धनी थे पर माता-पिता में अलगाव होने के कारण उन्हें माता के साथ रहना पड़ा और गरीबी में गुजर करना पड़ा। कालेज में अमृता प्रीतम से प्रेम हुआ। कॉलेज में वे अपने शेरों के लिए ख्यात हो गए थे और अमृता इनकी प्रशंसक । लेकिन ये प्रेम असफल रहा। सन् 1943 में साहिर लाहौर आ गये और उसी वर्ष उन्होंने अपनी पहली कविता संग्रह तल्खियाँ छपवायी। 'तल्खियाँ' के प्रकाशन के बाद से ही उन्हें ख्याति प्राप्त होने लग गई। 1949 में वे दिल्ली आ गये। कुछ दिनों दिल्ली में रहकर वे बंबई (वर्तमान मुंबई) गये जहाँ पर व उर्दू पत्रिका शाहराह और प्रीतलड़ी के सम्पादक बने। सम्पादक परिचय - आशा प्रभात का जन्म 21 जुलाई 1958 को हुआ। कविता, कहानी व उपन्यास विधा में हिन्दी-उर्दू में समान अधिकार से लेखन। कृतियाँ : हिन्दी में—दरीचे (काव्य-संग्रह); धुंध में उगा पेड़, जाने कितने मोड़, मैं और वह (उपन्यास); कैसा सच (कथा-संग्रह)। सम्मान : साहित्य सेवा सम्मान—बिहार राष्ट्र भाषा परिषद् द्वारा। सुहैल अजीमावादी अवार्ड—बिहार उर्दू अकादमी द्वारा। खसूसरी अवार्ड—बिहार उर्दू अकादमी द्वारा। प्रेमचन्द सम्मान, दिनकर सम्मान, उर्दू दोस्त सम्मान ए बी आई द्वारा साल 1999 में वुमन ऑफ दि ईयर अवार्ड तथा विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित। दो बार आई ए एस के प्रश्न पत्र में स्थान। फिलहाल स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता। फिल्म आजादी की राह पर (1949) के लिये उन्होंने पहली बार गीत लिखे किन्तु प्रसिद्धि उन्हें फिल्म नौजवान, जिसके संगीतकार सचिनदेव बर्मन थे, के लिये लिखे गीतों से मिली। फिल्म नौजवान का गाना ठंडी हवायें लहरा के आयें ..... बहुत लोकप्रिय हुआ और आज तक है। बाद में साहिर लुधियानवी ने बाजी, प्यासा, फिर सुबह होगी, कभी कभी जैसे लोकप्रिय फिल्मों के लिये गीत लिखे। 59 वर्ष की अवस्था में 25 अक्टूबर 1980 को दिल का दौरा पड़ने से साहिर लुधियानवी का निधन हो गया।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajkamal Prakashan
  • Pages: 432
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788126729098
  • Category: Poetry
  • Related Category: Literature
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