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Home Literature Short Stories Registan Mein Jheel
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Registan Mein Jheel
by Anand Harshul
4.5
4.5 out of 5
Creators
AuthorAnand Harshul
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsisआज के संचार प्रौद्योगिकी और आक्रामक उपभोक्तावाद के दौर में जब तमाम चीजें शोर, यांत्रिकता, बाजार, वस्तु-सनक, उन्माद और हाहाकार में गायब होती जा रही हों-यहाँ तक कि मानवीय रिश्ते भी-प्रकृति और पर्यावरण भी-आनंद हर्षुल जैसे अपने धीमे, शांत और अनोखे शिल्प से एक तरह का प्रतिवाद रचते हैं और यथार्थ तथा फंतासी के मिश्रण का एक सामानांतर सौंदर्यशास्त्र रचते हैं ! बगैर घोषित किए उनकी कहानियाँ उत्तर-आधुनिक होकर भी स्मृतिहीनता के विरुद्ध हैं !
आनंद हर्षुल की कहानियाँ पढ़ते हुए अनुभव किया जा सकता है कि यथार्थ के समाजशास्त्रीय ज्ञान के आतंक में इन दिनों कहानी के गद्य में जिस सघन ऐंद्रिकता और एक तरह की अबोधता का अकाल है, आनंद हर्षुल उन पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं, इसलिए जो चीजें अक्सर लोगों को जड़ स्थिर दिखाई देती हैं, वे यहाँ सांस लेती हैं ! आनंद हर्षुल का सघन ऐंद्रिकता और अबोधता पर भरोसा एक सार्थक प्रतिवाद है !- परमानन्द श्रीवास्तव