logo
Home Nonfiction Biographies & Memoirs RajKapoor : Srijan Prakriya
product-img
RajKapoor : Srijan Prakriya
Enjoying reading this book?

RajKapoor : Srijan Prakriya

by Jayprakash Chowksey
4.9
4.9 out of 5

publisher
Creators
Author Jayprakash Chowksey
Publisher Rajkamal Prakashan
Synopsis सिनेमा आम आदमी की आत्मा का आईना है। हॉलीवुड अमेरिका का इतिहास है। भारतीय आम आदमी का व्यक्तिगत गीत है भारतीय सिनेमा और राजकपूर इसके श्रेष्ठतम गायकों में से एक हैं। आजादी के चालीस वर्षों में आम आदमी के दिल पर जो कुछ बीता, वह राजकपूर ने अपने सिनेमा में प्रस्तुत किया। भविष्य में जब इन चालीस वर्षों का इतिहास लिखा जाएगा तब राजकपूर का सिनेमा अपने वक्त का बड़ा प्रामाणिक दस्तावेज होगा और इतिहासकार उसे नकार नहीं पाएगा। राजकपूर, नेहरू युग के प्रतिनिधि फिल्मकार माने जाते हैं, जैसे कि शास्त्री-युग के मनोज कुमार। इन्दिरा गांधी के युग के मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा। आजाद भारत के साथ ही राजकपूर की सृजन यात्रा भी शुरू होती है। उन्होंने 6 जुलाई, 1947 को ‘आग’ का मुहूर्त किया था और 6 जुलाई, 1948 को ‘आग’ प्रदर्शित हुई थी। भारत की आजादी जब उफक पर खड़ी थी और सहर होने को थी, तब राजकपूर ने अपनी पहली फिल्म बनाई थी। ‘आग’ आजादी की अलसभोर की फिल्म थी, जब गुलामी का अँधेरा हटने को था और आजादी की पहली किरण आने को थी। ‘आग’ में भारत की व्याकुलता है, जो सदियों की गुलामी तोड़कर अपने सपनों को साकार करना चाहता है। राजकपूर की आखिरी फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ 15 अगस्त, 1985 को प्रदर्शित हुई। इस फिल्म में राजकपूर ने उस कुचक्र को उजागर किया है, जो कहता है कि पैसे से सत्ता मिलती है और सत्ता से पैसा पैदा होता है। इस तरह राजकपूर ने अपनी पहली फिल्म ‘आग’ से लेकर अन्तिम फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ तक भारत के जनमानस के प्रतिनिधि फिल्मकार की भूमिका निभाई है। यह राजकपूर जैसे जागरूक फिल्मकार का ही काम था कि सन् 1954 और 56 में उसने भारतीय समाज का पूर्वानुमान लगा लिया था और भ्रष्टाचार के नंगे नाच के लिए लोगों को तैयार कर दिया था। ‘जागते रहो’ के समय उनके साथियों ने इस शुष्क विषय से बचने की सलाह दी थी और स्वयं राजकपूर भी परिणाम के प्रति शंकित थे। परन्तु सिनेमा के इस प्रेमी का दिल उस गम्भीर विषय पर आ गया था। जो लोग राजकपूर को काइयाँ व्यापारी मात्र मानते रहे हैं, उन्हें सोचना चाहिए कि बिना नायिका और रोमांटिक एंगल की फिल्म ‘जागते रहो’ राजकपूर ने क्यों बनाई? राजकपूर और आम आदमी का रिश्ता सभी परिभाषाओं से परे एक प्रेमकथा है, जिसमें आजाद भारत के चालीस सालों की दास्तान है। राजकपूर की साढ़े अठारह फिल्में आम आदमी के नाम लिखे प्रेम-पत्र हैं। सारा जीवन राजकपूर ने प्रेम के ‘ढाई आखर’ को समझने और समझाने की कोशिश की। राजकपूर भारतीय सिनेमा के कबीर हैं। राजकपूर का पहला प्यार औरत से था या सिनेमा से - यह प्रश्न उतना ही उलझा हुआ है, जितना कि पहले मुर्गी हुई या अंडा। उनके लिए प्रेम करना कविता लिखने की तरह था। प्रेम, औरत और प्रकृति के प्रति राजकपूर का दृष्टिकोण छायावादी कवियों की तरह था। औरत के जिस्म के रहस्य से ज्यादा रुचि राजकपूर को उसके मन की थी। वह यह भी जानते थे कि कन्दराओं की तरह गहन औरत के मन की थाह पाना मुश्किल है, परन्तु प्रयत्न परिणाम से ज्यादा आनन्ददायी था। प्रेम और प्रेम में हँसना-रोना, राजकपूर की प्रथम प्रेरणा थी, तो सृजन शक्ति का दूसरा स्रोत उनकी अदम्य महत्त्वाकांक्षा थी। ‘आग’ के नायक की तरह राजकपूर जीवन में कुछ असाधारण कर गुजरना चाहते थे। जलती हुई-सी महत्त्वाकांक्षा उनका ईंधन बनी। पृथ्वीराज उनकी प्रेरणा के तीसरे स्रोत रहे हैं। उन्हें अपने पिता के प्रति असीम श्रद्धा थी और वे हमेशा ऐसे कार्य करना चाहते थे, जिनसे उनके पिता की गरिमा बढ़े। ऐसे थे राजकपूर और यह है उनकी प्रामाणिक और सम्पूर्ण जीवनगाथा।

Enjoying reading this book?
Binding: HardBack
About the author
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajkamal Prakashan
  • Pages: 168
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788126719570
  • Category: Biographies & Memoirs
  • Related Category: Biographies
Share this book Twitter Facebook
Related articles
Related articles
Related Videos


Suggested Reads
Suggested Reads
Books from this publisher
Paon Ka Sanichar by Akhilesh Mishra
Khambhon Per Tiki Khushabu by Narendra Nagdev
Bitate Huye by Madhu Kankariya
Lava by Javed Akhtar
Kuchchi Ka Kanoon by Shivmurti
Bhaskaracharya by Gunakar Muley
Books from this publisher
Related Books
Jeete Jee Allahabad Mamta Kaliya
Anton Chekhov and George Bernard Shaw VINOD BHATT
Nindak Niyare Rakhiye Surendra Mohan Pathak
Thackeray Bhaau Daval Kulkarni
Devi Ke DPT Banane Ki Kahani Pushpesh Pant
Dharm Se Aagey : Sampurna Sansar Ke Liye Naitikta Dalai Lama
Related Books
Bookshelves
Stay Connected