Welcome Back !To keep connected with uslogin with your personal info
Login
Sign-up
Login
Create Account
Submit
Enter OTP
Step 2
Prev
Home Reference Criticism & Interviews Premchand Ek Talaash
Enjoying reading this book?
Premchand Ek Talaash
by Shriram Tripathi
4.6
4.6 out of 5
Creators
AuthorShriram Tripathi
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsisप्रेमचन्द % एक तलाश’ रचनात्मक आलोचना का एक अनूठा उदाहरण है । आलोचक श्रीराम त्रिपाठी ने वस्तुत% हिन्दी और उर्दू में समानरूपेण समादृत अमर कथाशिल्पी मुंशी प्रेमचन्द को उनकी रचनाओं में तलाश किया है । ‘प्रस्तावना’ में श्रीराम त्रिपाठी लिखते हैं–
जिस तरह कबीर हिन्दू–मुस्लिम के नहीं, समाज के निम्नतम, मगर मेहनतकश लोगों के साथ हैं, उसी तरह प्रेमचन्द हैं । वे न हिन्दी के हैं, न उर्दू के । वे हिन्दी–उर्दू के हैं । देवनागरी लिपि का मतलब हिन्दी नहीं होता और न प़़ारसी लिपि का मतलब उर्दू । प्रेमचन्द को समझने के लिए उनके श्रेष्ठतम से रूबरू होना पड़ेगा । यह तभी सम्भव है, जब दोनों भाषाओं की रचनाओं की तुलना करके श्रेष्ठतम को छाँटकर अलग किया जाए और वही दोनों भाषाओं में अनुवादित होकर नहीं, लिप्यंतरित होकर पहुँचे । मसलन, ‘ईदगाह’, ‘नमक का दारोग़ा’ और ‘शतरंज के खिलाड़ी’ का उर्दू रूप निश्चित तौर पर हिन्दी रूप से श्रेष्ठ है । फिर, क्यों न हिन्दी पाठकों को वही मुहैया कराया जाए । आजकल हिन्दी की रचनाओं में /ाड़ल्ले से देशज, अरबी, प़़ारसी और अंग्रेज़ी के शब्द आते हैं और ज़रूरत पड़ने पर उनके अर्थ फुटनोट में दे दिए जाते हैं, तो प्रेमचन्द के साथ ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता!
पुस्तक की सामग्री तीन खंडों में हैµलिप्यंतर, तुलना और समीक्षा । उपसंहार के अन्तर्गत भी अत्यन्त उपयोगी सामग्री है । उदाहरणार्थ, पुस्तक में विवेचित कहानियों की उर्दू व हिन्दी में प्रथम प्रकाशन की सूचना । साथ ही, इन कहानियों में आए उर्दू शब्दों के अर्थ ।
निस्सन्देह, प्रेमचन्द की रचनात्मक मानसिकता को समझने में यह पुस्तक एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी ।