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Humaawaaz Dilliyan
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Humaawaaz Dilliyan

by Meera Kant
4.7
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Creators
Author Meera Kant
Publisher Hind Yugm
Synopsis दिल्ली को केंद्र बनाकर लिखे गए अपने चौथे उपन्यास 'हमआवाज़ दिल्लियाँ' में मीरा कांत ने कथा की डोर इतिहास और कल्पना के दो छोरों के बीच बाँधी है। यह डोर लगभग सौ वर्ष की दूरी नापती है-- 1826 से 1927 तक। सन् 1927 में संसद भवन की नई गोल इमारत का शिलान्यास ब्रिटिश हुकूमत के ढोंग की पूर्णाहुति थी। लोकतंत्र के नाम पर यह साम्राज्यवादी ताकतों का वो तांडव था जिसे मात देने के लिए तत्कालीन स्वतंत्रताकामी शक्तियाँ दोगुने उत्साह से सक्रिय हो उठी थीं। स्वतंत्रता आंदोलन का सहयात्री होता हुआ भी यह उपन्यास ख़ालिस ऐतिहासिक-राजनैतिक नैरेटिव नहीं है। यह ऐतिहासिक-सामाजिक-सांस्कृतिक धुरी पर घूमते समय-चक्र के उठते ग़ुबार में बनते- बिगड़ते रिश्तों की गल्प-गाथा है। दिल्ली के स्मारकों के इर्द-गिर्द बुनी इस दास्तान में प्राचीन स्मारक कहीं पड़ाव हैं, तो कहीं मंज़िल। यहाँ की मिली-जुली तहज़ीब को दिल्ली की 'हो-हो' बस में सवार होकर नहीं, अपने पात्रों के साथ गली- कूचों में पैदल चलकर बयाँ किया गया है। इस दास्तानगोई की ज़बान में दो तार की चाशनी है-- एक तार हिंदी का तो दूसरा उर्दू का है। ' हमआवाज़ दिल्लियाँ' का कथावृत्त एकाधिक सत्य-रूपों को साथ लेकर चलने वाला डिस्कोर्स है जिसमें मीरा कांत ने सत्ता, राजनीति और धर्म की चदरिया उधेड़कर समझने की राह अपनाई है। ग़ुलाम मुल्क में अँग्रेज़ों द्वारा धर्म की आड़ में की जाने वाली सत्ता की राजनीति के छल-छद्म पर सवालिया निशान लगाया है।

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Binding: PaperBack
About the author
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Hind Yugm
  • Pages: 248
  • Binding: PaperBack
  • ISBN: 9789387464018
  • Category: Modern & Contemporary
  • Related Category: Novel
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