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Home Reference Criticism & Interviews Hisaab Barabar
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Hisaab Barabar
by Dr. Ramakant Sharma
4.8
4.8 out of 5
Creators
AuthorDr. Ramakant Sharma
PublisherStoryMirror Infotech Private Limited
Synopsisव्यंग्य का जन्म अपने समय की विद्रूपताओं के भीतर से उपजे असंतोष से होता है। भीतर का यह असंतोष संवेदनशील और पैनी दृष्टि रखने वाले लेखक की लेखनी के जरिये कागज पर उतरता है और समाज में व्याप्त विसंगतियों के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करता है। व्यंग्य लक्षित व्यक्ति / संस्था पर इस प्रकार चोट करता है कि उसका निशान दिखाई न दे, पर अपने शिकार में तिलमिलाहट भर दे। यही तिलमिलाहट उसे उस विसंगति को दूर करने के लिए प्रवृत्त भी करती है। इस व्यंग्य संग्रह में संकलित हर रचना पाठकों को अपने साथ बहा ले जाने, उन्हें गुदगुदाने, सोचने और खुद को बदलने के लिए प्रवृत्त करती है। जीवन जीने का ढंग बन चुकी विसंगतियों / विद्रूपताओं को दूर करने का उद्देश्य लेकर रची गई ये रचनाएं पढ़ना सुखद अनुभव से गुजरना है।
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Binding: Paperback
About the author
एम. ए. अर्थशास्त्र, एम.कॉम, एल एल.बी, सीए आइ आइ बी, पी एच. डी (कॉमर्स) डॉ. रमाकांत शर्मा पिछले लगभग 45 वर्ष से लेखन कार्य से जुड़े हैं। उनके अब तक छह कहानी संग्रह, नया लिहाफ, अचानक कुछ नहीं होता, भीतर दबा सच, चयनित कहानियां, तुम सही हो लक्ष्मी, सूरत का कॉफी हाउस (अनूदित कहानियां) तथा तीन उपन्यास मिशन सिफर, छूटा हुआ कुछ और एक बूंद बरसात प्रकाशित हो चुके हैं। उनका व्यंग्य संग्रह कबूतर और कौए प्रकाशित और चर्चित हो चुका है।