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Home Literature Short Stories Chuta Hua Kuchh
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Chuta Hua Kuchh
by Dr. Ramakant Sharma
4.3
4.3 out of 5
Creators
AuthorDr. Ramakant Sharma
PublisherStoryMirror Infotech Private Limited
Synopsisहमारा जीवन तमाम तरह की व्यस्तताओं में इतनी तेजी से बीत जाता है कि जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो हैरत होने लगती है। जहां एक-एक दिन बहुत बड़ा लगता है, वहीं कब वे दिन महीनों और वर्षों में ढ़लते हुए जिंदगी की शाम पर लाकर खड़ा कर देते हैं, पता ही नहीं चलता। यह वह समय होता है जब लोग अपनी ज़िंदगी के बीते हुए क्षणों को सिलसिलेवार लगाने की कोशिश करते हैं। इस प्रक्रिया में उनके मन में उन चीजों का मलाल सिर उठाने लगता है जो उन्हें मिल सकती थीं, पर मिल नहीं पाईं। इसके लिए कभी वे खुद को तो कभी दूसरों को कोसने लगते हैं। जिंदगी में जो कुछ उन्हें नहीं मिल पाया, जो कुछ उनसे छूट गया, वह उन्हें निरंतर सालता रहता है। जो लोग बचपन को बचपन की तरह और जवानी को जवानी की तरह नहीं जी पाए उनके दिल में टीस उठना स्वाभाविक है। लेकिन, उम्र को पीछे तो नहीं लौटाया जा सकता।
“छूटा हुआ कुछ” उपन्यास ऐसी ही एक सेवानिवृत्त महिला उमा जी की कहानी है जो कभी प्रेम के अहसास से नहीं गुजर पाईं। अब जब वे सेवानिवृत्त हो चुकी हैं तो सोचती हैं कि ऐसा क्या और क्यों हुआ जो वे जीवन में कभी किसी की प्रेम-पात्र नहीं बन सकीं और ना ही वे खुद किसी के प्यार में डूब सकीं। समय काटने के लिए जब वे पत्रिकाओं में प्रेम कहानियां पढ़तीं हैं तो बेचैन हो जातीं हैं।
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Binding: Paperback
About the author
"एम.ए.(अर्थशास्त्र), एम.कॉम (वित्तीय प्रबंधन), एलएल.बी, सीएआइआइबी तथा वित्तीय प्रबंधन में पीएच.डी डा. रमाकांत शर्मा पिछले 45 वर्ष से लेखन कार्य से जुड़े हैं। लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कहानियां, व्यंग्य तथा अनुवाद प्रकाशित होते रहे हैं।