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Home Literature Poetry Hanste Rahe Hum Udas Hokar
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Hanste Rahe Hum Udas Hokar
by Kishwar Naheed
4.6
4.6 out of 5
Creators
AuthorKishwar Naheed
PublisherVani Prakashan
TranslatorPradeep Sahil
Synopsisहँसते रहे हम उदास होकर- किश्वर नाहीद का जन्म 1940 में दक्खिनी उत्तर प्रदेश में स्थित बुलन्दशहर, भारत के एक सैयद परिवार में हुआ। 1949 में वह स्परिवार लाहौर जाकर बस गयीं। उनकी शायरी की पहली किताब "लब-ए-गोया' (1968 में शाया) को बावक़ार आदमजी अदबी ईनाम से नवाज़ा गया और उन्हें एक 'हिम्मतवर नयी आवाज़' का दर्जा दिया गया। मुल्क में उस समय चल रहे नये फ़ेमिनिस्ट मूवमेंट के साथ जुड़ने पर उनका ख़ैरमक़दम किया गया। उनकी नज़्म 'हम गुनहगार औरतें' जनरल जिया की तानाशाही के वक़्त हुई ज़्यादतियों के दौरान मुख़ालफ़्त के एक तराने का रूप लेकर सामने आयी। यह पिछले दशकों में मुख़ालफ़त की हमेशा ज़िन्दा रहने वाली एक रम्ज़ बन गयी है, ख़ासकर जब से यह आज के दौर की उर्दू की निस्वानियत की शायरी के संकलन का उनवान बनी है। इसी नाम से संकलन का तर्जुमा और सम्पादन रुख़साना अहमद ने किया है जो विमेन प्रेस, लन्दन द्वारा 1991 में शाया की गयी थी। इसके बाद से किश्वर की अपनी शायरी का हर मजमूआ, चाहे वह असल उर्दू ज़बाँ में हो या कोई तर्जुमा, उसने हुकूक़े-ए-ख़वातीन और तरक़्क़ीपसन्द सोच की एक निडर अलमबरदार के तौर पर उनकी शोहरत में ख़ूब इज़ाफ़ा किया है।