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Home Literature Poetry Pratinidhi Kavitayen
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Pratinidhi Kavitayen
by Kalicharan Snehi
4.4
4.4 out of 5
Creators
AuthorKalicharan Snehi
PublisherVani Prakashan
Synopsisप्रतिनिधि कविताएँ - प्रो. कालीचरण स्नेही आज के दौर में दलित कविता के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। आप जब-जब प्रो. कालीचरण स्नेही की कविता पर नज़र डालेंगे तो आपको निःसन्देह लगेगा कि श्रम-संघर्ष से रची गयी और ख़ून-पसीने से लिखी गयी सच्ची कविता ने सदियों के बाद अब आकर करवट ली है। अब तक वह अपने रुख उठ खड़ी नहीं हो पा रही थी। संकलन की इन कविताओं में लोक-जीवन का दिल धड़क रहा है और कविता का चिन्तन एक्शन के मूड में कुछ कर गुज़रने को बेताब हो रहा है। हिन्दी का काव्य-जगत जिन लोकतान्त्रिक मूल्यों से, संविधान की कल्याणकारी भावना से कतराया-कतराया कला और सौन्दर्य लोक के गीत रच रहा था, अपना यथास्थितिवादी उपक्रम बनाये हुए महज़ कविता के लिए कविता रच रहा था, वहीं प्रो. कालीचरण स्नेही की कविताएँ भारतीय संविधान के जनक बाबासाहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर और भारतीय संविधान की प्रस्तावना की वैचारिकी को ध्यान में रखकर लिखी गयी हैं। एक तरह से देखा जाये तो बाबासाहब द्वारा रचित भारतीय संविधान की प्रस्तावना दलित साहित्य की बुनियाद है। इसी बुनियाद पर प्रो. कालीचरण स्नेही की कविताएँ नये समाज निर्माण की ओर आगे बढ़ रही हैं। - प्रो. श्यौराज सिंह बेचैन, विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय