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Home Nonfiction Biographies & Memoirs Narendra Kohli Ke Na Hone Ka Arth
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Narendra Kohli Ke Na Hone Ka Arth
by Prem Janmejai
4.4
4.4 out of 5
Creators
AuthorPrem Janmejai
PublisherVani Prakashan
Synopsisनरेन्द्र कोहली के न होने का अर्थ - नरेन्द्र कोहली के प्रशंसक उन्हें युगप्रवर्तक साहित्यकार मानते हैं। नरेन्द्र कोहली एक युगप्रवर्तक साहित्यकार ही थे जिन्होंने ने उच्च जीवन मूल्यों की स्थापना के लिए लेखकीय क़लम उठाई। उन्होंने पहली बार रामकथा को उपन्यास श्रृंखला के रूप में लिखा। तुलसी के बाद में उन्होंने रामकथा को न केवल जनमानस में पहुँचाया अपितु राम के रूप में हमारे समय के अनुरूप एक आदर्श जननायक दिया। नरेन्द्र कोहली के राम तुलसी से एकदम भिन्न हैं। नरेन्द्र कोहली ने ‘अभ्युदय’ और ‘महासमर’ के माध्यम से आज के समय के प्रश्नों को पुराकथाओं के माध्यम से हल करने का प्रयत्न किया है। उनका महत् उद्देश्य मात्र समाज की बेहतरी के लिए समाधान खोजना है। उन्होंने गद्य की लगभग हर विधा में लिखा। नरेन्द्र कोहली का लेखन शताब्दियों तक हमारे मध्य जीवित रहेगा। 17 अप्रैल 2021 को वे महायात्रा पर निकल गये। नरेन्द्र कोहली के न होने के गहरे अर्थ हैं तो उनके न होने के कष्टदायी अनर्थ भी हैं। कुछ के लिए उनका न होना समाचार भर भी रहा होगा। उनके न होने पर उपजे महाशून्य को लेकर विभिन्न पीढ़ियों, विभिन्न विधाओं और विभिन्न सोच के रचनाधर्मियों ने, प्रेम जनमेजय द्वारा सम्पादित इस कृति में अपने-अपने अर्थ गढ़े हैं। निश्चित यह एक सम्पूर्ण पुस्तक है