Synopsisएक महीना नज़्मों का’ असलियत के आसमान में रोमानियत की उड़ान है। जवां सोच को लफ़्ज़ों में पिरोती हुईं ये नज़्में कभी ख़्यालों का कोहरा बन जाती हैं कभी असलियत की चट्टानें। एहसासों में गहरे उतर कर, आसान भाषा में लिखे इस मोहब्बत के इतिहास में आपको अपना अक्स दिखायी देगा। इसमें कहीं पहले प्यार की सिहरन है तो कहीं बन्दिशों से नाराज़गी। कहीं मीठे दर्द की चुभन है तो कहीं ख़्वाबों में महबूबा की छुअन। इसमें उदासी भी है, बारिश भी, तन्हाई भी है, शहर, कसबा और गाँव भी। उम्मीद के धागों पर, बारिश के बाद पानी की बूँदों की तरह तैरते रंग-बिरंगे ख़्वाबों को ज़ुबान देती हैं ये नज़्में। मोहब्बत कभी न कभी, किसी न किसी से सबने की है और हर किसी की मोहब्बत ख़ास है। उस ख़ासियत का एहतराम करते हुए ये नज़्में उम्र की हदों को पार करती हुईं सबकी होने की ताक़त रखती हैं।
Enjoying reading this book?
Binding: HardBack
About the author
इरशाद कामिल : पंजाब के छोटे से कस्बे मलेरकोटला में जन्म। पंजाब विश्वविद्यालय से समकालीन हिन्दी कविता पर पीएच. डी. उपाधि। दी ट्रिब्यून समाचार पत्र समूह और इंडियन एक्सप्रेस समाचार पत्रा समूह में नौकरियाँ। वर्ष 2001 में सब छोड़-छाड़ कर मुम्बई रवानगी। मुम्बई फिल्म उद्योग में पहली पंक्ति के गीतकार। दो फिल्म फेयर अवार्ड्स के अलावा, स्क्रीन, आइफा, जी सिने, अप्सरा, जीमा, मिर्ची म्यूजिक, बिग एंटरटेनमेंट और ग्लोबल इंडियन फिल्म एवं टीवी अवार्ड जैसे लगभग सभी फिल्मी पुरस्कार प्राप्त। विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं और कहानियों का प्रकाशन तथा ‘क्या सम्बन्ध था सड़क का उड़ान से’ शीर्षक अधीन छपे चौदह कवियों के सामूहिक संग्रह में शामिल। समकालीन कविता पर आलोचनात्मक पुस्तक ‘समकालीन कविता: समय और समाज’ भी प्रकाशित।