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Home Literature Poetry Dayron Mein Phaili Lakeer
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Dayron Mein Phaili Lakeer
by Kishwar Naheed
4.4
4.4 out of 5
Creators
AuthorKishwar Naheed
PublisherVani Prakashan
TranslatorPradeep 'Sahil'
Synopsisएक बुरी औरत की आत्मकथा से हिन्दी जगत में अपनी विशेष पहचान बनाने वाली पाकिस्तानी लेखिका क़िश्वर नाहिद का सम्बन्ध दरअसल उर्दू शायरी से रहा है। जीवन में संघर्ष और नैतिक दृष्टिकोण की वकालत करने वाली किश्वर ने जब अपने अहसास शायरी में बयाँ किए तो उर्दू शायरी में जैसे जलजला आ गया। ये वही समय था जब पाकिस्तान में जनरल ज़िया-उल-हक़ के फ़ौजी शासन का डंडा आम जनता के जीवन को त्रस्त कर रहा था। इसी समय में जब फ़हमिदा रियाज़, परवीन शाकिर, समीना राज़ा, शारा शगुफ़्ता और क़िश्वर नाहिद जैसी बेबाक महिला साहित्यकारों ने पाकिस्तानी शायरी के फलक पर दस्तक दी। इनके सबके अलग-अलग तेवर थे लेकिन एक बात सबमें समान थी कि सभी को अपने विषय की बोल्डनेस के साथ लगातार पाकिस्तान के संकुचित पुरुष सत्तात्मक साम्राज्य को चुनौती दे रही थी। क़िश्वर उर्दू शायरी में अपने समस्त बागियाना तेवर के साथ आयीं और देखते ही देखते ये बागी तेवर उन लोगों के लिए राहत और सुकून का पैगाम लेकर आये जो एक घुटन भरी ज़िन्दगी से बाहर निकलने को बेताब थे। क़िश्वर सियलसा या प्रतीकों में नहीं जीती बल्कि ये बागियाना बुरी औरत उनकी शायरी में आसानी से देखी जा सकती है जो धर्म, समाज, सत्ता, राजनीति से बेखौफ़ होकर युद्ध लड़ रही है और उसे किसी भी अच्छे-बुरे परिणाम की प्रतीक्षा नहीं है।