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Home Literature Poetry Buni Hui Rassi
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Buni Hui Rassi
by Bhawaniprasad Mishra
4.3
4.3 out of 5
Creators
AuthorBhawaniprasad Mishra
PublisherPratishruti Prakashan
Synopsisह्न इस संग्रह की कविताएं लगातार ब्राह्म मुहूर्त में पंद्रह-बीस दिन तक लिखी गई कविताएं हैं। निर्बल शरीर में प्राण कितना प्रबल हो सकता है, इसका उन दिनों मुझे बहुत ही ठीक अनुभव हुआ। यदि श्रेय देना ही हो तो इस अनुभव को दिया जा सकता है।
ह्न बुनी हुई रस्सी में मेरे किसी भी संग्रह के मुकाबले में अधिक अपरिहार्य कविताएं संग्रहित हैं। मेरी प्रारंभिक कविताओं की तरह उन दिनों मैं किसी भारी भार से व्याकुल नहीं था।
ह्न मेरी दृष्टि में हिंदी का ऐसा कोई कविता संग्रह नहीं है जिसकी इतनी कविताएं एक साथ मान्य हुई हो।
ह्न शुद्ध कविता की दृष्टि से बुनी हुई रस्सी ही मेरी सर्वश्रेष्ठ कृति है।
ह्न साहित्य अकादमी के अनुसार बुनी हुई रस्सी भावनाओं की मार्मिकता और अभिव्यक्ति के निखार के लिए समकालीन हिंदी साहित्य को महत्वपूर्ण देन मानी गई है।