Synopsisवे अहिन्दीभाषी जनता में भी बहुत लोकप्रिय थे क्योंकि उनका हिन्दी-प्रेम दूसरों की अपनी मातृभाषा के प्रति श्रद्धा और प्रेम का विरोधी नहीं, बल्कि प्रेरक था ।
हजारीप्रसाद द्विवेदी दिनकर जी ने श्रमसाध्य जीवन जिया । उनकी साहित्य-साधना अपूर्व थी । कुछ समय पहले मुझे एक सज्जन ने कलकत्ता से पत्र लिखा कि दिनकर का ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलना कितना उपयुक्त है? मैंने उन्हें उत्तर में लिखा था कि यदि चार ज्ञानपीठ पुरस्कार उन्हें मिलते, तो उनका उचित सम्मान होता गद्य, पद्य, भाषणों और हिन्दी-प्रचार के लिए ।
हरिवंश राय ' बच्चन ' उनकी राष्ट्रीय चेतना और व्यापक सांस्कृतिक दृष्टि, उनकी वाणी का ओज और काव्यभाषा के तत्वों पर बल, उनका सात्त्विक मूल्यों का आग्रह उन्हें पारम्परिक रीति से जोड़े रखता है ।
अज्ञेय