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Ardhanarishwar
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Ardhanarishwar

by Ramdhari Singh Dinkar
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4.8 out of 5

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Creators
Publisher Lokbharti Prakashan
Synopsis वे अहिन्दीभाषी जनता में भी बहुत लोकप्रिय थे क्योंकि उनका हिन्दी-प्रेम दूसरों की अपनी मातृभाषा के प्रति श्रद्धा और प्रेम का विरोधी नहीं, बल्कि प्रेरक था । हजारीप्रसाद द्विवेदी दिनकर जी ने श्रमसाध्य जीवन जिया । उनकी साहित्य-साधना अपूर्व थी । कुछ समय पहले मुझे एक सज्जन ने कलकत्ता से पत्र लिखा कि दिनकर का ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलना कितना उपयुक्त है? मैंने उन्हें उत्तर में लिखा था कि यदि चार ज्ञानपीठ पुरस्कार उन्हें मिलते, तो उनका उचित सम्मान होता गद्य, पद्य, भाषणों और हिन्दी-प्रचार के लिए । हरिवंश राय ' बच्चन ' उनकी राष्ट्रीय चेतना और व्यापक सांस्कृतिक दृष्टि, उनकी वाणी का ओज और काव्यभाषा के तत्वों पर बल, उनका सात्त्विक मूल्यों का आग्रह उन्हें पारम्परिक रीति से जोड़े रखता है । अज्ञेय

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Binding: HardBack
About the author रामधारी सिंह 'दिनकर' (23 सितंबर 1908- 24 अप्रैल 1974) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। बिहार प्रान्त के बेगुसराय जिले का सिमरिया घाट उनकी जन्मस्थली है। उन्होंने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था। 'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है। उर्वशी को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार जबकि कुरुक्षेत्र को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ काव्यों में 74 वाँ स्थान दिया गया रचनाएँ:- अमृत मंथन, अर्धनारीश्वर, भग्न वीणा, चिंतन के आयाम, धुप छांह, दिनकर रचनावली (Vol . 1-4), द्वन्द्वगीत, हुंकार, कवि और कविता, कविता और सुध कविता, कविता की पुकार, काव्य की भूमिका, मिट्टी की ओर, नए शुभाषित, नील कुसुम, पंडित नेहरु और अन्य महापुरुष, पन्त, प्रसाद और मैथेलिशरण, परशुराम की प्रतीक्षा, , रश्मिरथी, रश्मिमाला, रसवन्ती, रेणुका, साहित्य और समाज, सामानांतर, स्म्र्नाजंली, संस्कृति भाषा और राष्ट्र, संस्कृति के चार अध्याय, सपनों का धुँआ, श्री अरविंद: मेरी द्रष्टि में , उजली आग, उर्वर्शी, व्यक्तिगत निबंध और डायरी |
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Lokbharti Prakashan
  • Pages: 204
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788180315619
  • Category: Poetry
  • Related Category: Literature
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