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Akbar
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Akbar

by Shazi Zaman
4.2
4.2 out of 5

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Creators
Author Shazi Zaman
Publisher Rajkamal Prakashan
Synopsis 'हिन्दू गाय खाएँ, मुसलमान सूअर खाएँ...’‘ 3 मई 1578 की चाँदनी रात को कोई भी हिन्दुस्तान के बादशाह अबुल मुज़फ्फर जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर की इस बात को समझ नहीं पाया। इसीलिए उस वक्त उनकी इस कैफियत को 'हालते अजीब’ कहा गया। सत्ता के शीर्ष पर खड़ा ये बादशाह अपनी जिन्दगी में कभी कोई जंग नहीं हारा। लेकिन अब एक बहुत बड़ी और ताकतवर सत्ता उसके सब्र का इम्तिहान ले रही थी। बादशाह अकबर का संयम टूट रहा था और उनकी जिन्दगी का सबसे बड़ा संघर्ष शुरू होने को था। कई रोज़ पहले लगभग पचास हज़ार शाही फौजियों ने सल्तनत की सरहद के करीब एक बहुत बड़ा शिकारी घेरा बाँधा था। बादशाह अकबर के पूर्वज अमीर तैमूर और चंगेज़ खान के तौर तरीके के मुताबिक ये घेरा पल-पल कसता गया और अब वो वक्त आ पहुँचा जब शिकार बादशाह सलामत के पहले वार के लिए तैयार था। लेकिन उस मुकाम पर आकर बादशाह अकबर ने एक हैरतअंगेज़ कदम उठा लिया... ये उपन्यास लेखक ने बाज़ार से दरबार तक के ऐतिहासिक प्रमाण के आधार पर रचा है। बादशाह अकबर और उनके समकालीन के दिल, दिमाग और दीन को समझने के लिए और उस दौर के दुनियावी और वैचारिक संघर्ष की तह तक जाने के लिए शाज़ी ज़माँ ने कोलकाता के इंडियन म्यूि‍ज़यम से लेकर लन्दन के विक्टोरिया एंड ऐल्बर्ट तक बेशुमार संग्रहालयों में मौजूद अकबर की या अकबर द्वारा बनवाई गई तस्वीरों पर गौर किया, बादशाह और उनके करीबी लोगों की इमारतों का मुआयना किया और 'अकबरनामा’ से लेकर 'मुन्तखबुत्तवारीख’, 'बाबरनामा’, 'हुमायूँनामा’ और 'तजि़्करातुल वाकयात’ जैसी किताबों का और जैन और वैष्णव सन्तों और ईसाई पादरियों की लेखनी का अध्ययन किया। इस खोज में 'दलपत विलास’ नाम का अहम दस्तावेज़ सामने आया जिसके गुमनाम लेखक ने 'हालते अजीब’ की रात बादशाह अकबर की बेचैनी को करीब से देखा। इस तरह बनी और बुनी दास्तान में एक विशाल सल्तनत और विराट व्यक्तित्व के मालिक की जद्दोजहद दर्ज है। ये वो श‍ि‍ख्सयत थी जिसमें हर धर्म को अक्ल की कसौटी पर आँकने के साथ-साथ धर्म से लोहा लेने की हिम्मत भी थी। इसीलिए तो इस शक्तिशाली बादशाह की मौत पर आगरा के दरबार में मौजूद एक ईसाई पादरी ने कहा, ''ना जाने किस दीन में जिए, ना जाने किस दीन में मरे।’‘

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Binding: PaperBack
About the author शाज़ी ज़माँ जन्म: 1 मई, 1965, नई दिल्ली। दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक। लगभग पच्चीस वर्षों से पत्रकार। इस दौरान स्टार न्यूज़, आजतक, बीबीसी लन्दन, ज़ी न्यूज़ और दूरदर्शन से जुड़ाव। फ़िलहाल टीवी न्यूज़, एबीपी आनन्दो और एबीपी माझा (जो पहले स्टार न्यूज़, स्टार आनन्दो और स्टार माझा था) के सम्पादक। टीवी सम्पादकों की शीर्ष संस्था ‘ब्रोडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष। फ़िल्म एंड टीवी इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया’ (पुणे) और ‘इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन’ की गवर्निंग बॉडी के सदस्य। उपन्यास: ‘प्रेम गली अति साँकरी’ , ‘जिस्म जिस्म के लोग’ 'अकबर'
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajkamal Prakashan
  • Pages: 342
  • Binding: PaperBack
  • ISBN: 9788126729531
  • Category: History
  • Related Category: Historical
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