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मैंने अपनी माँ को जन्म दिया है

"प्रतीक्षा के बाद बची हुई असीमित संभावना"...यही! बिलकुल यही सात शब्द, बस! अगर शब्दों का अकाल पड़ा हो मेरे पास और बस एक पंक्ति में "मैंने अपनी माँ को जन्म दिया...

Book Review Poem
अस्मिता के सवाल करती कविताएँ- एक अतिरिक्त ‘अ’

कविता के लिए मुख्य रूप से एक दृष्टिकोण की जरूरत होती है जो गहरी संवेदना के साथ जीवन के अनुभवों और मानवीय सरोकारों को सच्चाई और प्रतिबद्धता से अभिव्यक्त कर...

Book Review Poem
स्त्री के सशक्त एकांत और दुरूह आरोहण की कविताएँ

रश्मि भारद्वाज का कविता संग्रह ‘मैंने अपनी माँ को जन्म दिया है’ जब से प्रकाशित हुआ है चर्चा में है। सेतु प्रकाशन से प्रकाशित इस संग्रह की कविताओं की एक विस्तृत...

रश्मि भारद्वाज राजीव कुमार सेतु प्रकाशन
‘मैंने अपनी माँ को जन्म दिया है’ को पढ़ते हुए

कविताएँ पढ़ते वक़्त सोचा एक पाठक के तौर पर मैं कविताओं को पढ़कर आए हर उस पहले ख़याल को दर्ज करता चलूँ! कविता और स्त्रैण मन दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं। स्त्रैण...


पुरुषों की दुनिया में स्त्री

मेरी समझ से हर पाठक की कविता से अपनी विशिष्ट अपेक्षाएँ होती हैं। ये अपेक्षाएँ कई बार बहुत मनोगत और अकथनीय भी हो सकती हैं। मैं आपकी तो नहीं कह सकता, लेकिन अपनी...


वे जन्म दे रही हैं हर क्षण एक नयी पृथ्वी : मैंने अपनी माँ को जन्म दिया है पर अरुण होता की समीक्षा

मैंने अपनी माँ को जन्म दिया है पर वरिष्ठ आलोचक अरुण होता का यह सुचिन्तित आलेख पाखी के दिसंबर -20 अंक में प्रकाशित हुआ है। आज से लगभग चार साल पहले रश्मि भारद्वाज...


वर्ष 2019 में हिन्दी की 10 सशक्त रचनाकार, जिन्हें पाठकों ने खूब प्यार दिया

हिन्‍दी साहित्‍य में सिर्फ पुरुषों का ही आधिपत्‍य नहीं है, इस बात को जाते हुए साल 2019 ने बहुत हद तक साबित भी किया है। इस साल लेखन में कई लेखिकाएं एक सशक्‍त हस्‍ताक्षर...


आधी आबादी : समाज के कारखाने में गढ़ी जाती है एक सम्पूर्ण औरत

औरत शब्द सुनते ही दिमाग में एक छवि कौंधती है- एक शांत, सुशील, शर्मीली और रूपवती स्त्री की, जो एक गुणी पत्नी, आदर्श बेटी और स्नेहशील मां होगी। आधुनिक समय में इस...


आधी आबादी: क्या वाकई औरत ही औरत की दुश्मन होती है?

हमने अपने आस-पास, परिवार, समाज में यह वाक्य कई बार सुना होगा कि औरत ही औरत की दुश्मन है। जब भी किसी स्त्री का शोषण होता है या उसके साथ मानसिक, शारीरिक दुराचार...


आज के दौर में स्त्रीवाद से क्यों भयभीत है समाज

स्त्रीवाद से अब भी अधिकतर स्त्री-पुरुष भय खाते हैं, क्योंकि वह एक ऐसी रूढि़मुक्त स्त्री की अवधारणा देता है, जिसे किसी भी दायरे में कैद नहीं किया जा सकता। एक...


आखिर स्त्रीवाद की जरूरत किसको है?

आधी आबादी: स्वतंत्रता और स्वच्छंदता के बीच महीन रेखा एक अभिजात्य फेमिनिज्म भी है, जिसकी अराजक माई चॉइस की रट सिर्फ स्त्रीवाद के मूल संघर्ष को ही हाशिए पर नहीं...


कविता शुक्रवार 8: रश्मि भारद्वाज की कविताएँ: वाजदा खान के चित्र

कविता शुक्रवार के अंक 8 में शामिल हैं रश्मि भारद्वाज की नई कविताएं और कवि-चित्रकार वाजदा खान के चित्र।स्त्री-पर्व सीरिज़ की पहली प्रस्तुति। रश्मि भारद्वाज...


Bharatiya Jananpith announces Navlekhan award 2016

New Delhi, Dec 29 (PTI) Two new Hindi writers Shraddha and Ghyansham Kumar Devansh have been chosen for Bharatiya Jnanpith Navlekhan Award for the year 2016, the literary organisation announced today. The decision to confer the award on Shraddha for her short story, Hawa Mein Phadphadati Chitthi and...


मैंने अपनी माँ को जन्म दिया है : नारी जीवन से साक्षात्कार करातीं कविताएँ

महिलाओं के दुख, दर्द, त्याग, तप, सहनशीलता, संघर्षशील जीवन, उच्च आदर्शों तथा लैंगिक भेदभाव पर हिन्दी साहित्य विशेषकर काव्य जगत में बहुत कुछ लिखा गया है जिसका...


मैंने अपनी मां को जन्म दिया है - कविताओं में उतरते हुए लोग

जानी-मानी लेखिका रश्मि भारद्वाज के कविता संग्रह मैंने अपनी मां को जन्म दिया है में जीवन के विविध पक्षों की छाप है। उनकी कविताएं दुख, मुक्ति और स्वाभिमान के...