Welcome Back !To keep connected with uslogin with your personal info
Login
Sign-up
Login
Create Account
Submit
Enter OTP
Step 2
Prev
Home Nonfiction Biographies & Memoirs Sunta Hai Guru Gyani
Enjoying reading this book?
Sunta Hai Guru Gyani
by Umakant Gundecha
4.4
4.4 out of 5
Creators
AuthorUmakant Gundecha
PublisherManjul Publishing House
Synopsisस्वरों के आघात के पूर्व स्वरों का आभास होना चाहिये। स्वरों की सूक्ष्मतम परतें उनके प्रस्फुटन के पूर्व ही मस्तिष्क में तरंगित हो जाती हैं। ध्यान के केंद्र में स्थिर स्वरों की ये अंतर्ध्वनियाँ परत दर परत पिघलने लगती हैं जिसे 'सुनता हैं गुरु ज्ञानी' और वे श्रुत होकर गुरुमुख से श्रुतियों के रूप में झरने लगती हैं। इस पुस्तक का शीर्षक 'सुनता है गुरु ज्ञानी' रखने के पीछे भी यही ध्येय है कि हम उस ज्ञानी गुरु के प्रवाह को आप तक पहुँचाने का प्रयास कर सकें।