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Sampurna Natak : Bhishm Sahani : Vol. 1-2
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Sampurna Natak : Bhishm Sahani : Vol. 1-2

by Bhishm Sahni
4.8
4.8 out of 5

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Creators
Author Bhishm Sahni
Publisher Rajkamal Prakashan
Synopsis भीष्म साहनी का रंगमंच से रिश्ता सिर्फ नाटककार का नहीं था। वे उसके हर पहलू से जुड़े थे। उन्होंने अभिनय भी किया, निर्देशन में भी हाथ आजमाया और लगभग आधा दर्जन मौलिक नाटकों की रचना करके नाटककार के रूप में प्रतिष्ठित तो हुए ही। इस पुस्तक में भीष्म जी के उन्हीं नाटकों को रखा गया है। मंचानुकूल शिल्प व सम्प्रेषणीयता से समृद्ध ये नाटक अपने कथ्य में भी रचनात्मक और हस्तक्षेपकारी रहे हैं। ‘हानूश’ जिसका मूल मंतव्य सत्ता के दमनकारी चरित्र को रेखांकित करना और रचनाकार की स्वाधीनता का आह्वान करना है, उस वक्त सामने आया जब देश इमरजेंसी के दौर से गुजर रहा था। ‘मुआवजे़’ की कहानी साम्प्रदायिक दंगे से ग्रस्त शहर के सामाजिक और प्रशासनिक विद्रूप को दिखाती है। ‘कबिरा खड़ा बजार में’, ‘आलमगीर’, ‘रंग दे बसन्ती चोला’ और महाभारत की एक कथा पर आधारित ‘माधवी’ में भी भीष्म जी ने अपने समय की जरूरतों और चुनौतियों को नजरअंदाज नहीं किया है। इस संकलन में शामिल सभी नाटक सार्थकता और मंचीयता, दोनों का संतुलन साधते हुए समकालीन नाटककार के सामने एक मानक प्रस्तुत करते हैं। पुस्तक में शामिल भीष्म जी का प्रसिद्ध आलेख ‘रंगमंच और मैं’ इस पुस्तक का विशेष आकर्षण है। सम्पूर्ण नाटक: खंड-2 ‘दावत’, ‘अहं ब्रह्मास्मि’, ‘खून का रिश्ता’ और ‘साग-मीट’- ऐसी अनेक कहानियाँ हैं जो हिन्दी कथा-साहित्य को भीष्म साहनी की अप्रतिम देन हैं। मध्यवर्गीय जीवन और मानसिकता की विडंबनाओं पर तीखी प्रगतिशील दृष्टि से लिखी गई उनकी कहानियों ने अपना एक अलग संवेदना-संसार निर्मित किया। भीष्म साहनी के सम्पूर्ण नाटकों के इस आयोजन में यह दूसरा खंड उनकी कुछ प्रसिद्ध कहानियों के नाट्य-रूपांतरणों पर केन्द्रित है। ये रूपांतरण उन्होंने स्वयं ही रेडियो के लिए किए थे। कुछ टीवी के लिए भी। रेडियो के लिए किए गए कुछ रूपांतरण बाद में टीवी पर भी प्रसारित किए गए। आज जब ‘कहानी का रंगमंच’ समकालीन हिन्दी थिएटर की अहम गतिविधि बन चुका है, इन रूपांतरणों को मंच की दृष्टि से पढ़ना एक अलग अनुभव है। कहानी में निहित नाटकीयता को किस कोण पर कैसे पकड़ा जाए और कैसे उसको एक जीते-जागते नाटक में तब्दील कर दिया जाए, यह कथाकार-नाटककार भीष्म साहनी ने स्वयं ही इन रूपांतरणों में स्पष्ट कर दिया है। जिन कहानियों के नाट्य-रूपांतरण इस खंड में शामिल हैं, वे हैं- ‘दावत’, ‘साग-मीट’, ‘अहं ब्रह्मास्मि’, ‘निमित्त’, ‘खिलौने’, ‘आवाजे़ं’, ‘झूमर’, ‘झुटपुटा’, ‘मकबरा शाह शेर अली’, ‘गंगो का जाया’, ‘खून का रिश्ता’, ‘समाधि भाई रामसिंह’, ‘तद्गति’ और ‘कंठहार’। उम्मीद है कि अपनी परिचित कहानियों का स्वयं कथाकार द्वारा प्रस्तुत यह नाट्य-रूप पाठकों को उपयोगी और उत्कृष्ट लगेगा।

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Binding: HardBack
About the author
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajkamal Prakashan
  • Pages: 984
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788126718351
  • Category: Drama
  • Related Category: Drama & Theatre
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