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Home Literature Short Stories Sawar Aur Doosari Kahaniyan
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Sawar Aur Doosari Kahaniyan
by Shamsurrahman Farooqui
4.9
4.9 out of 5
Creators
AuthorShamsurrahman Farooqui
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsisसवार और दूसरी कहानियाँ’ शम्सुर्रहमान प़़ारूक़़्ी का पहला कहानी–संग्रह है । इस संग्रह की कहानियों का विषय 18वीं सदी की दिल्ली के माध्यम से उस समय की भारतीय संस्कृति है । भारत के पिछले हज़ार साल के इतिहास में 18वीं सदी सम्भवत% सबसे ज़्यादा विवादास्पद रही है । आधुनिक भारत की चेतना को निर्मित करने वाले इतिहास–बोध के मुताबिक यह पतन और अहंकार का युग था जिसमें कविता, कला, संस्कृति और राजनीति सबको महलों के राग–रंग और षड्यंत्रों ने तत्वहीन बना दिया था । अंग्रेज़ों के साथ आई हुई चेतना से ही फिर भारतीय सभ्यता का उद्धार हो सका । इसके विपरीत शम्सुर्रहमान प़़ारूक़़्ी अपनी रचनाओं में विस्तार से इस बात का चित्रण करते हैं कि भारतीय समाज 18वीं सदी में मिली–जुली हिन्दू–मुस्लिम तहज़ीब का सबसे विकसित नज़ारा पेश कर रहा था । प्रेम जैसे बुनियादी इंसानी रिश्तों से लेकर सामाजिक–राजनीतिक–सांस्कृतिक हर क्षेत्र में यह सामासिक संस्कृति नायाब कारनामे कर रही थी । लेकिन अंग्रेज़ों ने सुनियोजित ढंग से इस संस्कृति पर कुठाराघात किया । आधुनिकता के आवरण में आई इस औपनिवेशिक चेतना ने हमें हर उस चीज़ पर शर्म करना सिखाया जो गर्व के क़़्ाबिल थी । उन्नीसवीं और बीसवीं सदी में इस चेतना का विजय अभियान जारी रहा और इसका मूल्यबोध हमारे सर चढ़कर बोलता रहा ।
इस संग्रह की कहानियों में 18वीं सदी का दिल्ली शहर मुख्य पात्र की तरह मौजूद है । ग़ालिब और मीर जैसे शायरों पर केन्द्रित कहानियाँ न केवल उस युग की तहज़ीब को आँखों के सामने लाती हैं बल्कि इस औपनिवेशिक भ्रम का निवारण भी करती हैं कि उस युग के कवि, कलाकार अपनी दुनिया में खोए रहने वाले दरबारी मुसाहिब क़्ि़स्म के लोग थे । इन कहानियों से पता चलता है कि दुनिया को अपने रचना–कर्म से सम्मोहित कर देने वाले इन महान रचनाकारों का दख़्ाल जीवन के तमाम क्षेत्रों में था । उनका जीवन और परिवेश ही उनकी विराट रचनाशीलता का स्रोत था । अन्तत% इन कहानियों से हमारे समाज की एक ऐसी झाँकी प्रकट होती है जो जीवन की बहुआयामी धड़कनों से भरा हुआ था और कविता, कला तथा संस्कृति जिसकी शिराओं में ख़्ाून बनकर दौड़ती थीं ।