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Sampurna Kahaniyan : Phanishwarnath Renu
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Sampurna Kahaniyan : Phanishwarnath Renu

by Phanishwarnath Renu
4.4
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Creators
Publisher Rajkamal Prakashan
Synopsis फणीश्वरनाथ रेणु - वह लेखक जिसने हिन्दी कथाधारा का रुख बदला, उसे ग्रामीण भारत के बिम्बों और ध्वनियों से समृद्ध किया और हिन्दी गद्य की भाषा को कविता से भी ज्यादा प्रवहमान बनाया। उन्हीं रेणु की सम्पूर्ण कहानी सम्पदा को इस पुस्तक में प्रस्तुत किया जा रहा है। प्रेम, संवेदना, हिंसा, राजनीति, अज्ञानता और भावुकता के विभिन्न रूप और रंगों की ये कहानियाँ भारत के ग्रामीण अंचल की चेतना का प्रतिनिधित्व करती है और स्वातंत्रयोत्तर भारत का सांस्कृतिक आईना हैं। इन कहानियों में लेखक ने लोकभाषा, जनसाधारण के रोजमर्रा जीवन और परिवेश को जितने मांसल ढंग से व्यक्त किया है, उसने हिन्दी की ताकत और क्षमता को भी बढ़ाया है। रेणु की 27 अगस्त, 1944 में प्रकाशित पहली कहानी ‘बट बाबा’ से लेकर नवम्बर, 1972 में प्रकाशित अन्तिम कहानी ‘भित्तिचित्र की मयूरी’ सहित विभिन्न संग्रहों में प्रकाशित उनकी कहानियों को यहाँ साथ लाया गया है ताकि पाठक अपने इस प्रिय लेखक को एक लय में पढ़ सकें।

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Binding: HardBack
About the author फणीश्‍वर नाथ रेणु {4 मार्च 1921 - 11 अप्रैल, 1977}, ने 1942 के भारत-छोड़ो आंन्दोलन के सक्रिय स्वन्त्रता भाग लिया। 1950 में नेपाली दमनकारी रणसत्ता के विरूद्ध सशस्त्र क्रांति के सूत्रधार रहे। 1954 में 'मैला आँचल' उपन्यास प्रकाशित हुआ तत्पश्चात् हिन्दी के कथाकार के रूप में अभूतपूर्व प्रतिष्ठा मिली। इनकी लेखनशैली वर्णणात्मक थी जिसमें पात्र के प्रत्येक मनोवैज्ञानिक सोच का विवरण लुभावने तरीके से किया होता था। इनकी लगभग हर कहानी में पात्रों की सोच घटनाओं से प्रधानहोती थी। एक आदिम रात्रि की महक इसका एक सुंदर उदाहरण है। इनकी कहानी मारे गये गुलफाम (तीसरी कसम) पर इसी नाम "तीसरी कसम"से राजकपूरऔर वहीदा रहमान की मुख्य भूमिका में प्रसिद्ध फिल्म बनी जिसे बासु भट्टाचार्य ने निर्देशित किया और सुप्रसिद्ध गीतकार शैलेन्द्र इसके निर्माता थे। यह फिल्म हिंदी सिनेमा में मील का पत्थर कही जाती है।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajkamal Prakashan
  • Pages: 584
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788126719723
  • Category: Short Stories
  • Related Category: Novella
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