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Home Literature Novel Rehan Par Ragghu
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Rehan Par Ragghu
by Kashinath Singh
4.2
4.2 out of 5
Creators
AuthorKashinath Singh
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsisरेहन पर रग्घू प्रख्यात कथाकार काशीनाथ सिंह की रचना-यात्रा का नव्य शिखर है।
भूमंडलीकरण के परिणामस्वरूप संवेदना, सम्बन्ध और सामूहिकता की दुनिया में जो निर्मम ध्वंस हुआ है - तब्दीलियों का जो तूफान निर्मित हुआ है - उसका प्रामाणिक और गहन अंकन है रेहन पर रग्घू। यह उपन्यास वस्तुतः गाँव, शहर, अमेरिका तक के भूगोल में फैला हुआ अकेले और निहत्थे पड़ते जा रहे समकालीन मनुष्य का बेजोड़ आख्यान है।
उपन्यास में केन्द्रीय पात्र रघुनाथ की व्यवस्थित और सफल ज़िन्दगी चल रही है। सब कुछ उनकी योजना और इच्छा के मुताबिक। अचानक कुछ ऐसा घटित होता है कि उनके जीवन के अर्जित यथार्थ इतना महत्त्वाकांक्षी, आक्रामक, हिंस्र है कि मनुष्यता की तमाम सारी आत्मीय, कोमल अच्छी चीजें टूटने, बिखरने, बरबाद होने लगती हैं। इस महाबली आक्रान्ता के प्रतिरोध का जो रास्ता उपन्यास के अन्त में अख्तियार किया गया वह न केवल विलक्षण और अचूक है बल्कि रेहन पर रग्घू को यादगार व्यंजनाओं से भर देता है।
रेहन पर रग्घू नये युग की वास्तविकता की बहुस्तरीय गाथा है। इसमें उपभोक्तावाद की क्रूरताओं का विखंडन है ही, साथ में शोषित प्रताड़ित जातियों के सकारात्मक उभार और नयी स्त्री की शक्ति एवं व्यथा का दक्ष चित्रांकन भी है। दरअसल रेहन पर रग्घू में वास्तविकताओं, चरित्रों, लोकेल, उपकथाओं आदि का ऐसा सधा हुआ अकाट्य अन्तर्गुम्फन है कि उसे एक प्रौढ़ रचनात्मकता के रूप में दर्ज किया जाना चाहिए। देशज सच्चाइयों, कल्पना, काव्यात्मकता, झीनी दार्शनिकता का सहमेल उपन्यास को मूल्यवान आभा से समृद्ध बनाता है।
संक्षेप में कहें, रेहन पर रग्घू बीते दो दशक के यथार्थ का ऐसा औपन्यासिक रूपान्तरण है जो काशीनाथ सिंह और हिन्दी उपन्यास दोनों को एक नयी गरिमा प्रदान करता है।
- अखिलेश