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Home Nonfiction Reference Work Raghuvir Sahay Aur Pratirodh Ki Sanskriti
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Raghuvir Sahay Aur Pratirodh Ki Sanskriti
by Abhay Kumar Thakur
4.3
4.3 out of 5
Creators
AuthorAbhay Kumar Thakur
PublisherVani Prakashan
Synopsisप्रस्तुत पुस्तक में रघुवीर के रचना-कर्म के मध्यम से स्वाधीन भारत के मत्तवपूर्ण मुद्दों – ‘ लोकतन्त्र कि विसंगति’, ‘ससांस्कृतिक दस्ता’, ‘भाषा की विकृति’, जनसंचार माध्यमों की भूमिका’, ‘जातिप्रथा’, ‘सांप्रदायिकत’ इत्यादि पर विस्तार से विचार किया गया है। “वही खबर नहीं है, जो लोगों को चौंकाती है, खबर वह भी है जो लोगो को भरोसा देती है, हिम्मत बँधाती है और समाज में अपनी शक्ल का प्रतिबिंब देखने को देती है। मगर खबर के पूरी तौर पर खबर बनने के लिए आवश्यक है कि वह उन तक भी पहुँचे जिन्होने उसे पैदा किया है- सिर्फ उन्हीं तक न रह जाये जिन्होने उसे लिखा है- शायद बहुत ही सुंदर भाषा में भी।”
रघुवीर सहाय का यह वक्तव्य इस बात का प्रत्यक्ष प्रणाम है कि वे स्वाधीन भारत के महत्त्वपूर्ण लेखक ही नहीं, अपने जमाने के सजग पत्रकार भी थे।