Synopsisमुहाजिरनामा, मुनव्वर राना द्वारा 1947 के भारत पाकिस्तान बटवारे के मुहाजिरों पर लिखी गयी एक बहुत ही शसक्त ग़ज़ल हैं। यह एक बहुत लम्बी ग़ज़ल हैं जिसमे कि 504 शेर हैं। अपनी जमीन, अपना घर, अपने लोगो को छोड़ने का गम क्या होता हैं इसको इस ग़ज़ल में बड़ी शिद्द्त से व्यक्त किया गया हैं।
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Binding: HardBack
About the author
मुनव्वर राना का जन्म 26 नवम्बर, 1952 को रायबरेली, उत्तर प्रदेश में हुआ था। सैयद मुनव्वर अली राना यूँ तो बी. कॉम. तक ही पढ़ पाये किन्तु ज़िन्दगी के हालात ने उन्हें ज्यादा पढ़ाया भी उन्होंने खूब पढ़ा भी। माँ, ग़ज़ल गाँव, पीपल छाँव, मोर पाँव, सब उसके लिए, बदन सराय, घर अकेला हो गया, मुहाजिरनामा, सुखन सराय, शहदाबा, सफ़ेद जंगली कबूतर, फुन्नक ताल, बग़ैर नक़्शे का मकान, ढलान से उतरते हुए और मुनव्वर राना की सौ ग़ज़लें हिन्दी व उर्दू में प्रकाशित हुईं। कई किताबों का बांग्ला व अन्य भाषाओं में अनुवाद भी हुआ।