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Home Nonfiction Biographies & Memoirs Mohammed Rafi: Svayan Iswar Ki Awaaz-(Hindi)
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Mohammed Rafi: Svayan Iswar Ki Awaaz-(Hindi)
by Raju Korti, Dhirendra Jain
4.7
4.7 out of 5
Creators
AuthorRaju Korti, Dhirendra Jain
PublisherBahuvachan
TranslatorPrayag Shukla
Synopsisमोहम्मद रफ़ी के संबंध में एक सूक्ति चरितार्थ होती है कि उनके नाम से पहले ‘ज़ीरो ही आ सकता है और बाद में ‘दो, क्योंकि वही एक ऐसी शख़्सियत हैं, जिनकी जगहपिछले चार दशकों से ‘नंबर वन ही है। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता। ऐसे महान गायक की लंबी संगीत यात्रा का वर्णन करने के लिए मानो शब्द भी कम पड़ जाते हैं।
ऐसी अभूतपूर्व ख्याति थी, उस विरले गायक की। वास्तव में रफ़ी कई सितारों से बड़े थे, जिन्होंने उनकी सुनहरी, सुरीली आवाज़ के साथ होंठ हिलाए।एक विनम्र और रूढ़िवादी पृष्ठभूमि से आने वाले व्यक्ति के लिए उनका मेहनती अंदाज़ और आवाज़ का हुनर ही मानो सब कुछ था; और इसी के दम पर बंबई (अब मुंबई) की इस व्यावसायिक नगरी में अपनी ख़ास जगह बनाई। यही वजह है कि रफ़ी के गुज़र जाने के इतने वर्षों बाद भी उनकी लोकप्रियता कुछ कम नहीं हुई है।
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Binding: HardCover
About the author
रचनात्मक लेखन के लिए समर्पित राजू कोरती एक व्यावसायिक मीडियाकर्मी के रूप में भी जाने जाते हैं। पिछले 40 वर्षों से वे इस उद्योग को अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। उन्होंने हमेशा चुनौतीभरे कार्यों को स्वीकार किया है और उसमें बेहतर कर दिखाया है। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत द हिंदू, द इंडियन एक्सप्रेस, फ्री प्रेस जर्नल और डेली न्यूज और एनालिसिस (डीएनए) समाचार-पत्रों से की है। उन्हें कई शोधपरक कहानियों व जन-जीवन से जुड़े लेखों के माध्यम से जनता को जागरूक करने एवं कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की कवरेज का श्रेय दिया जाता है। एक वर्ष के लिए उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के लिए एक संसाधन व्यक्ति के रूप में और मुंबई नगर निगम में एक सलाहकार के रूप में काम किया है। प्रबंधन, विज्ञान, कानून और मीडिया में स्नातकोत्तर श्री कोरती ने पत्रकारिता में अपना कैरियर बनाने के लिए अपने प्रमुख क्षेत्र को त्याग दिया। उनकी बहुमुखी प्रतिभा और अभिव्यक्ति उन्हें स्नातक और स्नातकोत्तर के बीच एक लोकप्रिय शिक्षक बनाती है। उनके ब्लॉग्स कई ज्वलंत मुद्दों पर अपनी राय प्रकट करते हैं और चर्चा में बने रहते हैं। लेखक, पत्रकार और मीडिया सलाहकार धीरेंद्र जैन ने छत्तीसगढ़ के रायपुर से फि़ल्म पत्रकारिता से अपने कैरियर की शुरुआत की थी। मुंबई में स्थानांतरित होने के बाद, उन्होंने जनसंपर्क के क्षेत्र में 40 से अधिक प्रोजेक्ट्स पर काम किया। उन्हें 500 से अधिक लेखों को लिखने का श्रेय प्राप्त है। उन्हें संगीत निर्देशक रवींद्र जैन की जीवनी सुनहरे पल का श्रेय दिया जाता है। उनकी इस पुस्तक ने प्रतिष्ठित महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, मुंबई का पुरस्कार जीता। फ़िल्मी पत्रकारिता और जनसंपर्क में उनका व्यापक अनुभव उन्हें अनगिनत घटनाओं और क़िस्सों से रूबरू कराता है। रफ़ी के प्रशंसक, श्री धीरेंद्र जैन को अब तक हमेशा एक अच्छे वक्ता के रूप में जानते आए हैं, और अब उनके न रहने पर भी, उनके श्रेष्ठ कार्यों के रूप में उन्हें याद किया जाएगा। Translator प्रयाग शुक्ल का जन्म 28 मई 1940 कोलकाता में हुअा। इन्होंने कोलकाता विवविद्यालय से स्नातक किया है। वे कल्पना, दिनमान और नवभारत टाइम्स के संपादक मंडल में रहे हैं। साथ ही ललित कला अकादमी की पत्रिका समकालीन कला के अतिथि संपादक और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की पत्रिका रंग प्रसंग तथा संगीत नाटक अकादमी की पत्रिका संगना के संपादक भी रहे हैं। वे कुशल कवि, कथाकार, कला-समीक्षक, अनुवादक एवं संपादक रहे हैं। इनकी अब तक लगभग 50 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।.