Synopsisनवीन चौधरी का यह उपन्यास बीती सदी के अंतिम दशक की छात्र-राजनीति के दांव-पेंच और उन्हीं के बीच पलते और दम तोड़ते मोहब्बत के किस्सों को बहुत जीवंत ढंग से सामने लाता है| जनता स्टोर, जो होने को जयपुर की एक दुकान भी है और और नहीं होने को वह देश भी है, जिसमें स्टोर करने की क्षमता बहुत है, जनता नहीं है|
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Binding: PaperBack
About the author
बिहार के मधुबनी जि़ले के रुद्रपुर गाँव में 31 जुलाई, 1978 को जन्मे नवीन चौधरी राजस्थान विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में परास्तानक हैं। पढ़ाई के दौरान छात्र-राजनीति में खूब सक्रिय रहे। इन्होंने एमबीए की डिग्री भी हासिल की है। 'दैनिक भास्कर’, 'दैनिक जागरण’ और आदित्य बिड़ला गु्रप के ब्रांड और मार्केटिंग डिपार्टमेंट में विभिन्न पदों पर रह चुके नवीन फोटोग्राफी, व्यंग्य-लेखन एवं ट्रैवलॉग राइटिंग भी करते हैं। इनकी ट्रेवल तस्वीरें गेटी-इमेजेज द्वारा इस्तेमाल होती हैं। इनका लोकप्रिय फेसबुक पेज 'कटाक्ष’ और ब्लॉग 'हिन्दी वाला ब्लॉगर’ के नाम से है। इनके कई व्यंग्य वायरल हुए और कई न्यूज़ वेबसाइट पर भी प्रकाशित होते रहे हैं। नवीन के पुराने आर्टिकल उनकी वेबसाइट www.naveenchoudhary.com पर पढ़े जा सकते हैं।
वर्तमान में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, नोएडा में मार्केटिंग हेड और दिल्ली एनसीआर में रहनेवाले नवीन चौधरी से सम्पर्क का ज़रिया है—naveen2999@gmail. com