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Home Literature Romance Indiyaapa
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Indiyaapa
by Vinod Dubey
4.4
4.4 out of 5
Creators
AuthorVinod Dubey
PublisherHind Yugm
Synopsisइस मोबाइल के दौर में, जब हर भोपाल, बनारस और पटना, मुंबई हो जाने को बेताब हैं , चंद सालों पहले की कहानियाँ ‘उन दिनों की बात’ होती जा रही हैं। यह सचमुच उन्हीं दिनों की बात है, जब चित्रहार में सबसे ज़्यादा गानें कुमार शानू जी गाते थे, IIT-JEE क्रैक करने वाला लौंडा मुहल्ले में ऐसे देखा जाता था जैसे वह चाँद से लौट के आया हो, एक लड़के के लिए लड़की को देखने से लेकर हाँथ छू लेने तक का सफ़र एवरेस्ट की चढ़ाई से कम नहीं था। अब यार, हर लौंडा कोई DDLJ का शाहरुख़ खान तो है नहीं कि इंडियन सियापों के अमरीश पुरी से लड़ जाये । पर जब हमारी कहानी के शुक्ला जी, इस इंडियापे से सींघ लड़ा ही रहे हैं, तो सही-ग़लत का फैसला वक़्त के हाथों छोड़, आप भी उनकी इस कहानी का मज़ा लीजिए। इंडियापा लेखक की पहली किताब है। पहली किताब, पहले प्यार की तरह बस हो जाती है, हमें ज़्यादा सोचने का वक्त नहीं देती। इसलिए इसे फ़ुर्सत से पढ़िएगा, ट्रेन के किसी लंबे सफ़र की फ़ुर्सत, exam के बाद वाली रात की फुर्सत, या फिर सर्दियों की धूप में औंधे मुँह पड़े रहने की फुर्सत... उम्मीद है कि विनोद दूबे की यह कहानी आपको फ़ुर्सत की उन्हीं पुरानी गलियों तक पहुँचाने का एक रास्ता बनेगी।