Synopsisसंजय को स्टूडेंट यूनियन का इलेक्शन जीतना है और रफ़ीक़ को उज़्मा का दिल। झुन्नू भइया के आशीर्वाद बिना कोई प्रत्याशी पिछले दस सालों से चुनाव नहीं जीता और झुन्नू भइया का आशीर्वाद br>-संजय के साथ नहीं है। शहर की खोजी निगाहों के बीच ही रफ़ीक़ को उज़्मा से मिलना है और शहर प्रेमियों पर मेहरबान नहीं है। डॉक साब कौन हैं जो कहते हैं कि br>-संजय मरहट्टा है और इस मरहट्टे का जन्म राज करने को नहीं राजनीति करने को हुआ है? शहर बलिया, जो देने पर आए तो तीनों लोक दान कर देता है और लेने पर उतारू हो तो... हँसते-हँसते रो देना चाहते हों तो पढ़ें—बाग़ी बलिया...
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Binding: PaperBack
About the author
सत्य व्यास हिंदी की नई पौध के लेखक हैं। अपनी पहली ही किताब 'बनारस टॉकीज' से ये ‘नई वाली हिंदी’ का झंडा गाड़ चुके हैं। यह उपन्यास पिछले दो सालों से हिंदी का सबसे ज़्यादा बिकने वाली किताब रहा है। ब्लॉगिंग, कविता और फिल्मों के रुचि रखने वाले सत्य व्यास फ़िलहाल दो फिल्मों की पटकथा लिख रहे हैं। ‘दिल्ली दरबार’ इनका दूसरा उपन्यास है।