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Publisher Lokbharti Prakashan
Editor Kapila Vatsayan
Synopsis केन्दुविल्व (केन्दुली) नामक ग्राम में बारहवीं शती में जन्मे महाकवि जयदेव जगन्नाथ की आराधना से प्राप्त भोजदेव और रमादेवी की सन्तान थे । उत्कल राजा एकजात कामदेव के राजकवि के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने 'गीतगोविन्द. की रचना की । देवशर्मा की जगन्नाथ की कृपा से प्राप्त पुत्री पद्यावती से उनका विवाह हुआ । वह आन्ध्र के एक ब्राह्मण की पुत्री थी ऐसी भी आख्यायिका है । जयदेव ने 'गीतगोविन्द' की उन्नीसवीं अष्टपदी से उसे पुनरुज्‍जीवित किया ऐसी भी कथा है । जिंस दिन रथयात्रा होती है, यही उन्नीसवीं अष्टपदी-प्रिये चारुशीले' मखमल के कपड़े पर लिखकर जगन्नाथ के हाथों दी जाती है । महीपति ने. भक्तविजय' में जयदेव को व्यास का अवतार कहा है । विश्व-साहित्य में राधा-कृष्ण के दैवी प्रेम पर आधारित भाव-नाल के रूप में यह एक अप्रतिम रस काव्य है । इस नृत्यनाट्य में पद्यावती राधा की और जयदेव कृष्ण की भूमिका करते थे और वह मन्दिर में खेला जाता था । दोनों केरल में गये और यह काव्य प्रस्तुत किया ऐसा उल्लेख है । चैतन्य सम्प्रदाय के अनुयायी गीतगोविन्द को भक्ति का उत्स मानते हैं । जगन्नाथ मन्दिर के एक शिलालेख के अनुसार देव सेवकों को प्रति संध्‍या जगन्नाथ के आगे यह नृत्यगायन करने का आदेश दिया गया है । इस काव्य में सहजयान बौद्ध प्रभाव का सूक्ष्म दर्शन होता है : प्रज्ञा और उपाय तत्त्व ही राधा और कृष्ण हैं । राधा-कृष्ण का मिलन इस काव्य में जीव-ब्रह्म के मिलन का प्रतीक है-सुमुखि विमुखिभावं तावद्विमुत्न न वंचय । जयदेव के नाम से बंगाली पद मिलते हैं । गुरु ग्रन्थ साहब में और दादूपन्धी साधकों के पद-संग्रह में भी जयदेव की बानी है । राजस्थानी में भी जयदेव के पद मिले हैं । भारतीय भाषा परिषद् ने दिनांक 1 8- 19 मई. 1980 को 'गीतगोविन्द' संगोष्ठी आयोजित की थी । उसमें पड़े गये बंगाली, मराठी, ओडिया, मलयाली, गुजराती, हिन्दी- भाषी विद्वानों के निबन्धों और भाषणों का यह हिन्दी अनुवाद, इस विषय की विशेषज्ञा, डी. कपिला वात्स्यायन की भूमिका के साथ प्रस्तुत है ।

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Binding: HardBack
About the author
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Lokbharti Prakashan
  • Pages: 171
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788180319778
  • Category: Poetry
  • Related Category: Literature
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