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Home Literature Novel Chhaila Sandu
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Chhaila Sandu
by Mangal Sing Munda
4.9
4.9 out of 5
Creators
AuthorMangal Sing Munda
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsisछैला सन्दु मुंडा समाज का एक मिथकीय पात्र है। उसके व्यक्तित्व को लेकर कई कथाएँ लोकसमाज में पाई जाती हैं। यही कारण है कि मुंडा समाज के इतिहास में छैला सन्दु का कोई लिखित उल्लेख न होने के बावजूद जन- साधारण की स्मृति में वह आज भी जिन्दा है।
साँवला रंग, छरहरा शरीर, आकर्षक व्यक्तित्व और मानवीय गुणों से भरपूर वह अपने समाज का बहुत प्रिय नायक है। वनवासी उसे कृष्ण का अवतार मानते हैं। कृष्ण की ही तरह वह बाँसुरीवादक और प्रकृति का अन्यतम प्रेमी है।
छैला के जीवन में निर्णायक मोड़ बुन्दी के प्रेम के रूप में आता है। बुन्दी सूबेदार हकीम सिंह की सबसे छोटी बेटी है। छैला पर बुन्दी को भगाने का आरोप लगता है, और सूबेदार उसकी तलाश में वनवासियों की बस्ती को उजाड़ देता है। अन्त में छैला बुन्दी के भविष्य के लिए अपने प्रेम का उत्सर्ग कर देता है।
छैला और बुन्दी के प्रेम प्रसंगों के माध्यम से उपन्यासकार ने इस पुस्तक में मुंडा समाज की तमाम खूबियों-खराबियों, परम्पराओं और रीति-रिवाजों का प्रामाणिक चित्र प्रस्तुत किया है। वर्षों के शोध, परिश्रम और खोज के आधार पर कथाकार ने इस उपन्यास में छैला सन्दु के व्यक्तित्व को ऐतिहासिक रूप देने का भी प्रयास किया है।