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Home Literature Satire & Humour Balam Tu kahe Na Hua N.R.I
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Balam Tu kahe Na Hua N.R.I
by Alok Puranik
4.8
4.8 out of 5
Creators
AuthorAlok Puranik
PublisherRadhakrishna Prakashan
Synopsisआलोक पुराणिक हमारे रोजमर्रा जीवन की विसंगतियों की शल्य-क्रिया करनेवाले व्यंग्यकार हैं।
बालम, तू काहे न हुआ एन.आर.आई. उनका नया व्यंग्य संग्रह है। इसमें उन्होंने देश-विदेश एवं मिथकीय सन्दर्भों से जहाँ आज के सामाजिक जीवन की विद्रूपताओं को रेखांकित किया है, वहीं राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार पर प्रकाश डालने के साथ अपने स्वार्थों में लिप्त धार्मिक पाखंडियों का भी पर्दाफाश किया है।
व्यंग्य के बहाने लेखक हमारे जीवन से जुड़े उन विरोधाभासों को परत-दर-परत खोलता चलता है जिनका सामना हमें जीवन में कदम-कदम पर करना पड़ता है और जहाँ हम नाटकीय जीवन जीने के लिए अभिशप्त हैं। स्वार्थों और चालाकियों की भेंट चढ़े रिश्ते हों या बहुराष्ट्रीयता के प्रहसन के सामने अपनी साख बचाती स्थानीयता या फिर स्वतन्त्राता बाद के भारत की राजनीति हो, यह सब उनकी लेखनी के दायरे में आते हैं, और इतने स्वाभाविक चुटीलेपन के साथ कि पाठक भावोद्वेलित हुए बिना नहीं रह सकता।