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Home Literature Novel Aaspas Se Gujrate Hue
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Aaspas Se Gujrate Hue
by Jayanti
4.3
4.3 out of 5
Creators
AuthorJayanti
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsis‘अनु–––सर्दियों की एक खुशनुमा ढलती साँझ में मेरे जेहन में आई थी । शाम से लेकर पूरी रात वह मेरे साथ रही । अगले ही दिन मैंने तय कर लिया कि अनु को आकार देना चाहिए । अनु जैसी किसी से मैं आज तक मुखातिब नहीं हुई हूँ । पर टुकड़ों में उसकी छवियाँ मेरे आसपास से गुजरती रही हैं । आज के दौर की एक सामान्य सी युवती है अनु, जो कुछ परवरिश के तौर–तरीके के चलते, तो कुछ परिस्थितिवश और बहुत कुछ अपने स्वभावगत गुण–अवगुण की वजह से लीक से हटकर चलने की कोशिश में लगी है ।’
इस उपन्यास की नायिका के बारे में लेखिका का यह वक्तव्य, अगर बहुत ज्यादा नहीं तो इतना तो बताता ही है कि वह एक ‘लीक से हटकर’ चलने वाली युवती है, उसके खाके को पूरा करने के लिए इतना–भर और जोड़ लेना काफी होगा कि वह हमारे दरवाजे के बाहर खड़े, ‘इन्स्टैंट’ वर्तमान से उठी हुई नायिका है ।–––अपनी टुकड़ा– टुकड़ा छवियों में ही आकार लेती हुई ।