logo
Home Literature Novel Aanjaney Jayte
product-img
Aanjaney Jayte
Enjoying reading this book?

Aanjaney Jayte

by Giriraj Kishore
4.4
4.4 out of 5

publisher
Creators
Publisher Rajkamal Prakashan
Synopsis

Enjoying reading this book?
Binding: HardBack
About the author गिरिराज किशोर (8 जुलाई 1937 - 9 फरवरी 2020) हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार होने के साथ-साथ एक सशक्त कथाकार, नाटककार और आलोचक थे। इनके सम-सामयिक विषयों पर विचारोत्तेजक निबंध विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से प्रकाशित होते रहे हैं। इनका उपन्यास ढाई घर अत्यन्त लोकप्रिय हुआ था। वर्ष 1991 में प्रकाशित इस कृति को 1992 में ही साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कर दिया गया था। गिरिराज किशोर द्वारा लिखा गया पहला गिरमिटिया नामक उपन्यास महात्मा गाँधी के अफ़्रीका प्रवास पर आधारित था, जिसने इन्हें विशेष पहचान दिलाई। गिरिराज किशोर का जन्म 8 जुलाई 1937 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरर नगर में हुआ, इनके पिता ज़मींदार थे। गिरिराज जी ने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया और स्वतंत्र लेखन में लग गये थे। उन्होंने 1960 में समाज विज्ञान संस्थान, आगरा से सोशल वर्क से पढ़ाई की। 1960 से 1964 तक वे उ.प्र. सरकार में सेवायोजन अधिकारी व प्रोबेशन अधिकारी रहे, 1964 से 1966 तक इलाहाबाद में रह कर स्वतन्त्र लेखन में लग गये। जुलाई 1966 से 1975 तक कानपुर विश्वविद्यालय में सहायक और उपकुलसचिव के पद पर सेवारत रहें। दिसम्बर 1975 से 1983 तक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के कुलसचिव रहें। 1983 से 1997 तक वहीं पर रचनात्मक लेखन केन्द्र के अध्यक्ष रहें। 1 जुलाई 1997 अवकाश ग्रहण किया। रचनात्मक लेखन केन्द्र उनके द्वारा ही स्थापित एक संस्था है। 9 फरवरी 2020 को उनका निधन हो गया। गिरिराज किशोर जी के प्रमुख कहानी संग्रह नीम के फूल, चार मोती बेआब, पेपरवेट, रिश्ता और अन्य कहानियां, शहर -दर -शहर, हम प्यार कर लें, जगत्तारनी एवं अन्य कहानियां, वल्द रोजी, यह देह किसकी है?, कहानियां पांच खण्डों में (प्रवीण प्रकाशन, महरौली),'मेरी राजनीतिक कहानियां' व हमारे मालिक सबके मालिक गिरिराज किशोर जी के चर्चित उपन्यास एवं नाटक लोग, चिडियाघर, दो, इंद्र सुनें, दावेदार, तीसरी सत्ता, यथा प्रस्तावित, परिशिष्ट, असलाह, अंर्तध्वंस, ढाई घर, यातनाघर, आठ लघु उपन्यास अष्टाचक्र के नाम से दो खण्डों में आत्मा राम एण्ड संस से प्रकाशित। पहला गिरमिटिया - गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीकी अनुभव पर आधारित महाकाव्यात्मक उपन्यास नाटक- नरमेध, प्रजा ही रहने दो, चेहरे - चेहरे किसके चेहरे, केवल मेरा नाम लो, जुर्म आयद, काठ की तोप। बच्चों के लिए एक लघुनाटक ' मोहन का दु:ख' गिरिराज जी को 2007 में भारत सरकार द्वारा भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajkamal Prakashan
  • Pages: 395
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9789387462328
  • Category: Novel
  • Related Category: Modern & Contemporary
Share this book Twitter Facebook
Related articles
Related articles
Related Videos


Suggested Reads
Suggested Reads
Books from this publisher
Yah Hamara Samay by Nand Chaturvedi
Paanch Chor by
Thaharti Sanson Ke Sirhane Se : Jab Zindagi Mauj Le Rahi Thi by Ananya Mukherjee
Dhuppal by Bhagwaticharan Verma
Kaisi Aagi Lagai by Asghar Wajahat
Tatvamasi by Dhruv Bhatt
Books from this publisher
Related Books
Gandhi Aur Samaj Giriraj Kishore
Giriraj Kishore ki Lokpriya Kahaniyan Giriraj Kishore
Giriraj Kishore ki Lokpriya Kahaniyan Giriraj Kishore
Jugalbandi Giriraj Kishore
Baa Giriraj Kishore
Baa Giriraj Kishore
Related Books
Bookshelves
Stay Connected