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Aameen

by Alok Srivastava
4.5
4.5 out of 5

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Creators
Author Alok Srivastava
Publisher Rajkamal Prakashan
Synopsis आलोक श्रीवास्तव के पहले और बहुचर्चित ग़ज़ल-संग्रह ‘आमीन’ का यह दूसरा संस्करण है। पन्नों के कैनवस पर शब्दों के रंग बिखेरने में माहिर आलोक नए दौर और आम-फ़हम ज़बान के शायर हैं। उन्होंने काव्य की हर विधा में निपुणता का परिचय देते हुए कहीं किसी सूफ़ियाना ख़याल को सिर्फ़ एक दोहे में समेट देने के हुनर से रूबरू कराया तो कहीं वे ‘अम्मा’ और ‘बाबूजी’ से जुड़े संजीदा रिश्तों की यादों को विस्तार देते नज़र आए। आधुनिकता के इस बेरुख़े दौर में उनकी रचनाएँ रिश्तों के मर्म को समझने और समझाने की विनम्र कोशिश लेकर सामने आईं। हमारे समय की आलोचना के प्रतिमान डॉ. नामवर सिंह ने उन्हें ‘दुष्यंत की परंपरा का आलोक’ कहा तो हिंदी और उर्दू के कई जाने-माने लेखकों, समीक्षकों के साथ साहित्य सुधियों ने भी उनके इस संग्रह को हाथों-हाथ लिया। बाज़ारवादी युग में दरकते इंसानी रिश्तों पर लिखी आलोक की ग़ज़लें उनके निजी अनुभवों का आईना हैं मगर कमाल यह हुआ कि इस आईने में हर किसी को अपना अक्स नज़र आया। ‘आमीन’ की कई रचनाओं में सामाजिक सरोकार के सबूत मिले जिसने आलोक को सहज ही बेदार और प्रगतिशील कवियों की कतार में ला खड़ा किया। वह क़तार जो हिंदी ग़ज़ल और उर्दू ग़ज़ल की ख़ेमेबंदी से परे सिर्फ़ और सिर्फ़ ग़ज़ल की हिफ़ाज़त कर रही है। ‘आमीन’ के प्रथम संस्करण की भूमिका शीर्ष लेखक कमलेश्वर ने लिखी जो किसी पुस्तक पर उनकी अंतिम भूमिका के रूप में याद की जाती है और मशहूर शायर-फ़िल्मकार गुलज़ार ने पेशलफ़्ज़ लिखकर इसे एक मुकम्मल संग्रह होने की मुहर लगाई। दो भाषाओं का पुल बनाने वाले एक नौजवान के पहले संग्रह पर हिंदी और उर्दू के दो शिखर क़लमकारों के शब्द इस बात की गवाही बने कि आलोक ने अपना अदबी इम्तेहान पूरी संजीदगी और तैयारी से दिया है जो बहुत हद तक सही साबित हुई। और अब इस दूसरे संस्करण की भूमिका डॉ. नामवर सिंह ने लिखी है, इस शुभकामना के साथ कि यह रचनाएँ और दूर तक पहुँचें। आमीन।

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Binding: HardBack
About the author
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajkamal Prakashan
  • Pages: 91
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788126714308
  • Category: Poetry
  • Related Category: Literature
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