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Home Nonfiction History 1857 : Awadh Ka Muktisangram
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1857 : Awadh Ka Muktisangram
by Akhilesh Mishra
4.2
4.2 out of 5
Creators
AuthorAkhilesh Mishra
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsisयशस्वी पत्रकार और विद्वान लेखक अखिलेश मिश्र की यह पुस्तक एक लुटेरे साम्राज्यवादी शासन के खिलाफ अवध की जनता के मुक्ति युद्ध का दस्तावेज है। अवध ने विश्व की सबसे बड़ी ताकत ब्रिटेन का जैसा दृढ़ संकल्पित प्रतिरोध किया और इस प्रतिरोध को जितने लम्बे समय तक चलाया उसकी मिसाल भारत के किसी और हिस्से में नहीं मिलती।
पुस्तक 1857 की क्रान्ति में अवध की सांझी विरासत - हिन्दू-मुस्लिम एकता को भी रेखांकित करती है। इस लड़ाई ने एक बार फिर इस बात को उजागर किया था कि हिन्दू-मुस्लिम एकता की बुनियादें बहुत गहरी हैं और उन्हें किसी भेदनीति से कमजोर नहीं किया जा सकता। आन्दोलन की अगुवाई कर रहे मौलवी अहमदुल्लाह शाह, बेगम हजरत महल, राजा जयलाल, राजा बेनीमाधव, राजा देवीबख्श सिंह में कौन हिन्दू था, कौन मुसलमान? वे सब एक आततायी साम्राज्यवादी ताकत से आजादी पाने के लिए लड़ने वाले सेनानी ही तो थे।
इस मुक्ति संग्राम का चरित प्रगतिशील था। न केवल इस संग्राम में अवध ने एक स्त्री बेगम हजरत महल का नेतृत्व खुले मन से स्वीकार किया बल्कि हर वर्ग, वर्ण और धर्म की स्त्रियों ने इस क्रान्ति में अपनी-अपनी भूमिका पूरे उत्साह से निभाई चाहे वह रानी तुलसीपुर हों अथवा अभी कुछ वर्ष पूर्व तक अज्ञात वीरांगना के रूप में जानी जाने वाली योद्धा पासी अदा देवी। अवध के मुक्ति संग्राम की अग्रिम पंक्ति में भले ही राजा, जमींदार और मौलवी रहे हों लेकिन यह उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ रहे किसानों और आम जनता का जुझारूपन था जिसने सात दिन के भीतर अवध में ब्रिटिश शासन को समाप्त कर दिया था। यह पुस्तक 1857 के जनसंग्राम के कुछ ऐसे ही उपेक्षित पक्षों को केन्द्र में लाती है।
2006 में 1857 के जनसंग्राम को याद करना सिर्फ इसलिए ही जरूरी नहीं है कि यह वर्ष उस महान क्रान्ति की 150वीं वर्षगाँठ का है बल्कि इसलिए भी कि इतिहास सिर्फ अतीत का लेखा-जोखा नहीं वह सबक भी सिखाता है। आज भूमंडलीकरण के इस दौर में जब बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की लूट का जाल आम भारतीय को अपने फंदे में लगातार कसता जा रहा है, ईस्ट इंडिया कम्पनी से लोहा लेने वाला, उसे एक संक्षिप्त अवधि के लिए ही सही, पराजित करने वाले वर्ष 1857 से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।