तरुण भटनागर का जन्म २५ सितंबर १९६८ को रायपुर, छत्तीसगढ़ में हुआ। वर्तमान में भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्यरत तरुण भटनागर ने एम एससी (गणित) तथा एम ए (इतिहास) की डिग्री हासिल की है। तरुण भटनागर का लेखन साहित्य की कई विधाओं, कविताएँ, कहानियाँ, उपन्यास आदि में फैला है आपकी रचनाएं प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होती रही हैं। । तरुण भटनागर की अब तक लगभग १० किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। तरुण भटनागर को को युवा रचनाशीलता का वागीश्वरी पुरस्कार 2009; ‘शैलेश मटियानी कथा पुरस्कार’; 2014 का ‘स्पंदन कृति सम्मान’; ‘वनमाली युवा कथा सम्मान’ 2019; मध्य भारतीय हिन्दी साहित्य सभा का ‘हिन्दी सेवा सम्मान’ 2015 आदि पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।...
रोचक अन्दाज़ में लिखा गया उपन्यास 'बेदावा' आँखों से न देख पानेवालों, ट्रांसजेंडरों और दग़ाबाज़ों की अनदेखी दुनिया के इश्क़ का फ़साना है। हमारे दौर की मज़हबी नफ़रतों और दुश्वारियों से भिड़ते उन लोगों की कहानी है जो हार नहीं मानते। यह किताबों और रौशनियों की कहानी है। इश्क़ का ऐसा क़िस्सा है जो आदमी और औरत के इश्क़ से अलहदा इंसानियत के फ़लसफ़े को गढ़ता है। इसमें अत्याधुनिक कॉलेज के कैम्पस हैं तो जंगलों की अनजान दुनिया। स्पेन का कोई आधुनिक क़स्बा है तो हमारे यहाँ का कोई भीड़ और शोर-शराबे से भरा गली-मुहल्ला। यह प्यार को खोने और पा जाने के दरमियान की बेचैनियों, ख़्वाबों और उम्मीदों का एक शानदार वाक़या है।
ISBN: 9789389598117
MRP: 160
Language: Hindi
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राजेन्द्र यादव के इस दुस्साहस की सराहना अवश्य करूंगा कि उन्होंने बस्तर के युवा कथाकार तरुण भटनागर के साथ हुए अपने संवादों के पत्र को सम्पादकीय (‘हंस, सितम्बर-2012...
Review Hansतरुण भटनागर के लेखन से हम सब अच्छी तरह परिचित रहे हैं। यह उनके नए उपन्यास ‘बेदावा’ का अंश है। यह उपन्यास उनके अपने लेखन में भी एक भिन्न प्रकृति का उपन्यास...
बेदावा तरुण भटनागर उपन्यासकथाकार तरुण भटनागर का उपन्यास, ‘राजा,जंगल,और काला चाँद’ आधार प्रकाशन से २०१९ में प्रकाशित हुआ था, जो ४१ अध्यायों में विभक्त है. इनके नाम दिलचस्प और मानीख़ेज़...
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