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जिसमें कोई परीकथा ही ना हो वो फ़ुटबॉल-टूर्नामेंट कैसा। इस बार की परीकथा का नाम है डेनमार्क। ये वो टीम है, जो बीते यूरो कप के लिए क्वालिफ़ाई भी नहीं कर पाई थी और...
यूरो कप फ़ुटबॉलसिंधु-सरस्वती घाटी की सभ्यता की प्राचीनता और उसकी अबूझ भाषा का रहस्य अभी भी बरकरार है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि यह दुनिया की सबसे सभ्य और विकसित सभ्यता थी।...
मोहन जोदड़ों रहस्य13 अक्टूबर को बॉब डिलन को नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी। यह निर्णय अप्रत्याशित भले ही हो, आकस्मिक नहीं था और नोबेल पुरस्कारों को फ़ॉलो करने वाले...
बॉब डिलन नोबेल पुरस्कार स्टॉकहोम[ "जैसे ही आपको "चर्च बेल्स" सुनाई दें, मान लीजिए आपकी शामत आने वाली है!" ("द अंडरटेकर" के मिथ से जुड़ी चर्चित कहावत) ] रोमनों ने "ग्लैडिएटर्स" रचे थे,...
(अभी हाल ही में एक सज्जन ने मुझसे किंचित आवेशपूर्वक पूछा कि जो आप लिखते हैं वो निबंध है, या समीक्षा, या आलेख है। यह निहायत ग़ैरज़रूरी सवाल था सो जवाब नहीं दिया।...
रविवार रात "रीयल मैड्रिड" के गढ़ "सांतियागो बेर्नबऊ" में मैड्रिड और बार्सीलोना के बीच खेले गए सनसनीख़ेज़ "एल क्लैसिको" मैच में खेल का समय पूर्ण...
सत्यजित राय की फिल्म "अपराजितो" का एक दृश्य है. हरिहर की मृत्यु के बाद सर्बजया और अपु बनारस से अपने गांव लौट रहे हैं। ट्रेन की खिड़की के बाहर दृश्यालेख...
सन् 1961 की फ़िल्म "झुमरू" का यह गीत है। हम सभी का बारहा-हज़ारहा सुना हुआ गाना : "कोई हमदम ना रहा/ कोई सहारा ना रहा।" इस फ़िल्म की कहानी किशोर कुमार ने लिखी...
इतालो कल्वीनो के नॉवल "द कासल ऑफ़ द क्रॉस्ड डेस्टिनीज़" में यह "फ़ंतासी" है कि एक दिन पशु जंगलों से आएंगे और मनुष्य को नगरों से विस्थापित करके सभ्यता...
“फ़ूड एंड बीवरेज” इंडस्ट्री की जायंट कंपनी “पार्ले एग्रो” ने वर्ष 1985 में अपनी “फ्रूटी” लॉन्च की थी. यह ड्रिंक आगे चलकर मैंगो सॉफ़्ट ड्रिंक का पर्याय बनी. इसका...
मणि कौल की फ़िल्म “उसकी रोटी” देखने के बाद किसी “संत्रस्त” समालोचक ने यह तल्ख़ टिप्पणी की थी कि इस फ़िल्म के निर्देशक को “पोर्नोग्राफ़ी” बनानी चाहिए. “उसकी...
ये मीर तक़ी मीर का क़लाम था, जिसको उठाकर मज़रूह ने यह गीत बुना और लक्ष्मी-प्यारे की जोड़ी ने उसकी वो जांलेवा धुन बांधी. मीर के क़लाम के बारे में ये फ़रमाया गया...
साल दो हज़ार पांच में आई फ़िल्म “यहां” का गीत है यह. निहायत “सेंसुअस”, “तल्लीन”, “राग-निमग्न” और उसके बावजूद एक क़िस्म की बेचैनी, दुर्दैव की दुश्चिंताओं...
यह मांसभक्षियों का प्रिय तर्क है. आश्चर्य होता है कि इतने अनैतिक, जघन्य, अन्यायपूर्ण और लचर तर्क के आधार पर वे अपने अपराधों पर परदा डालने का प्रयास करते हैं. अव्वल...
1950 का "माराकनाज़ो" मैंने अपनी आंखों के सामने घटित होते नहीं देखा था। बशर्ते 16 जुलाई 1950 के उस दिन मराकाना स्टेडियम में जो दो लाख लोग मौजूद थे, उनमें से किसी...
फिल्मकार शेखर कपूर ने यूं ही नहीं कहा था कि अगर हिंदी सिनेमा का कैलेंडर बनाया जाए तो उसे दो भागों में बांटा जाएगा : शोले से पहले और शोले के बाद. कोई और फिल्म भारत...
कहते हैं दिलीप कुमार हॉलीवुड अभिनेता पॉल म्युनी से बहुत मुतास्सिर थे. ठीक उसी तरह, जैसे देव आनंद पर ग्रेगरी पेक, शम्मी कपूर पर जेम्स डीन और एल्विस प्रेस्ले...
आइज़ैक न्यूटन का एकान्त लगभग दुर्भेद्य था। उसमें किसी को प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। उसका पूरा बचपन तनहाई में बीता था (जन्म से पहले पिता की मृत्यु हो गई,...
सुशोभित सक्तावत, सोशल मीडिया पर एक चर्चित नाम हैं। अपनी मोहक भाषा में सियासत से साहित्य तक विविध विषयों पर फेसबुक पर लिखने वाले सुशोभित पेशे से पत्रकार हैं।...
उन्नीस सौ सत्रह में जब रूस में अक्तूबर क्रांति हुई, तब रूस एक सामंती मुल्क हुआ करता था, वो एक फ़्यूडल स्टेट था। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि क्रांति के समय...
ऐसा अकसर होता है। हम अपने काम में लगे रहते हैं, पृष्ठभूमि में टीवी या रेडियो अपनी तमाम रोज़मर्राई कॉमनप्लेस चीज़ों के साथ चलते रहते हैं। सहसा लता का कोई...
पहले जब युवा और उत्साही फ़िल्मकार या सिंगर, डांसर, मिमिक्री आर्टिस्ट आदि इंडस्ट्री में काम करना चाहते थे तो वे मुंबई नगरी में चप्पलें घिसते थे। ऐसा नहीं है...
हिंदी का गौरव हिंदी होने में उतना नहीं है, जितना कि भाषा होने में है. फिर उसमें हिंदी का गौरव कितना है?मैं हिंदी से प्यार नहीं करता! मैं भाषा से प्यार करता हूं!...
1980 का दशक एक अजब जवांमर्दी का दौर था. रेट्रोसेक्शुअल ऊर्जा उफनी रहती थी. उस दौर के लोकप्रिय पुरुष घेर वाली पतलून पहनते थे. उनके लम्बे घुंघराले बाल कंधों पर जलप्रपात...
गॉड्स साइलेंस। ईश्वर का मौन। अरसे बाद कोई फिल्म देखी। इंगमर बर्गमैन की विंटर लाइट कोई सालभर पहले भी देखी थी। तभी से ख़्याल था यह फिल्म दोबारा देखना है।...
पति के क़त्ल के बाद रानी कमलापति ने चैनपुर-बारा के गौंड राजाओं से रक्षा के लिए इस्लामनगर के दुर्दांत अफ़गान लड़ाके दोस्त मोहम्मद ख़ां को बुलावा तो भेज...