Synopsis“स्वाधीनता आन्दोलन के अंतिम दशक में ‘विप्लव’ का प्रकाशन हिंदी पत्रकारिता की दुनिया में एक विस्फोट सरीखा था ! yashpal ने अपने क्रातिकारी दौर की वैचारिक सम्पदा को इस पत्रिका के मंच से व्यापक राजनितिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सन्दर्भ प्रधान किए ! ‘विप्लव’ की विशिष्टता एक आन्दोलन सरीखी थी ! ब्रिटिश साम्राज्यवाद को नेस्तनाबूद किए जाने के सारे प्रयत्नों के साथ सहभागिता दर्ज करते हुए भी yashpal ने ‘विप्लव’ को स्वाधीनता आन्दोलन के वर्स्वशाली नेतृत्व के प्रतिपक्षी की भूमिका में ढाल रखा था ! ‘विप्लव’ के सम्पादकीयों का स्वरुप प्रायः राजनितिक व् सामाजिक हुआ करता था ! ‘विप्लव’ को समय-समय पर ब्रिटिश शासन के कोप का शिकार होना पड़ा ! दरअसल ‘विप्लव’ के सम्पादकीय अग्रलेखों के माध्यम से स्वाधीनता संग्राम की उस दौर की उन हलचलों और बहसों का भी पता चलता है जो प्रायः मुख्य धारा की इतिहास में अनुपस्थित हैं ! कहना न होगा कि यशपाल एक व्यक्ति नहीं, आन्दोलन थे और ‘विप्लव’ इस आन्दोलन का उद्घोष !”
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Binding: HardBack
About the author
यशपाल (3 दिसम्बर 1903 - 26 दिसम्बर 1976 का नाम आधुनिक हिन्दी साहित्य के कथाकारों में प्रमुख है। ये एक साथ ही क्रांतिकारी एवं लेखक दोनों रूपों में जाने जाते है। प्रेमचंद के बाद हिन्दी के सुप्रसिद्ध प्रगतिशील कथाकारों में इनका नाम लिया जाता है। अपने विद्यार्थी जीवन से ही यशपाल क्रांतिकारी आन्दोलन से जुड़े, इसके परिणामस्वरुप लम्बी फरारी और जेल में व्यतीत करना पड़ा। इसके बाद इन्होने साहित्य को अपना जीवन बनाया, जो काम कभी इन्होने बंदूक के माध्यम से किया था, अब वही काम इन्होने बुलेटिन के माध्यम से जनजागरण का काम शुरु किया। यशपाल को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1970 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।यशपाल के लेखन की प्रमुख विधा उपन्यास है, लेकिन अपने लेखन की शुरूआत उन्होने कहानियों से ही की। उनकी कहानियाँ अपने समय की राजनीति से उस रूप में आक्रांत नहीं हैं, जैसे उनके उपन्यास। नई कहानी के दौर में स्त्री के देह और मन के कृत्रिम विभाजन के विरुद्ध एक संपूर्ण स्त्री की जिस छवि पर जोर दिया गया, उसकी वास्तविक शुरूआत यशपाल से ही होती है। आज की कहानी के सोच की जो दिशा है, उसमें यशपाल की कितनी ही कहानियाँ बतौर खाद इस्तेमाल हुई है। वर्तमान और आगत कथा-परिदृश्य की संभावनाओं की दृष्टि से उनकी सार्थकता असंदिग्ध है। उनके कहानी-संग्रहों में पिंजरे की उड़ान, ज्ञानदान, भस्मावृत्त चिनगारी, फूलों का कुर्ता, धर्मयुद्ध, तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ और उत्तमी की माँ प्रमुख हैं।