Thalchar
by Kumar Ambuj
Creators
Author
Kumar Ambuj
Publisher
Radhakrishna Prakashan
Synopsis
''यह à¤à¤• मारक कà¥à¤·à¤£ है। इस बार अधिक सखà¥à¤¤ और बेधक निगाहों के साथ। मैं इसके सामने हूà¤à¥¤ इसके निशाने पर। यह कà¥à¤·à¤£ à¤à¤• निरà¥à¤£à¤¾à¤¯à¤• फैसला चाहता है। यह à¤à¤• अपराजेय कà¥à¤·à¤£ है। मेरे à¤à¥€à¤¤à¤° से ही निकला हà¥à¤†à¥¤ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ और अबोधता से à¤à¤°à¤¾à¥¤ यह किसी उलà¤à¤¨ में नहीं है। यह मैं हूठजो इसे उलà¤à¤¨ में डालने की कोशिश कर रहा हूà¤à¥¤ लेकिन यह à¤à¥à¤²à¤¾à¤µà¥‡ में नहीं आ रहा है। 'जैसा मैं हूठऔर जो मà¥à¤à¥‡ होना चाहिà¤' को यह तेज़ धार से काटकर, दो टूक और दो à¤à¤¾à¤—ों में कर देना चाहता है। यह कà¥à¤°à¥‚र होते हà¥à¤ à¤à¥€ आकरà¥à¤·à¤• है और अकाटà¥à¤¯ à¤à¥€à¥¤ यह खà¥à¤¦ à¤à¤• तरà¥à¤• है, अपने आपमें à¤à¤• औचितà¥à¤¯à¥¤ à¤à¤• सà¥à¤µà¤¯à¤‚सिदà¥à¤§ काया और विचार। इसका समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¨ ज़बरà¥à¤¦à¤¸à¥à¤¤ है। जानता हूठयह अवसाद नहीं है। निराशा नहीं है। खिनà¥à¤¨à¤¤à¤¾ तो कतई नहीं। यह à¤à¤• आदिम आकांकà¥à¤·à¤¾ है जो अब अपना आधिपतà¥à¤¯ चाहती है। यह हरेक सरà¥à¤œà¤• में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤ªà¥à¤¤ रहती है। जब वह जागती है तो पूरा जीवन माà¤à¤—ती है। अपना ही रकà¥à¤¤ चाहती है। रचनाकार à¤à¤• तरह की असà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¤à¤¾ में, बà¥à¤–ार में और अपने रकà¥à¤¤ में कैंसर की कोशिकाà¤à¤ लिठही, सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ और वà¥à¤¯à¤¥à¤¿à¤¤ रहने के लिठअà¤à¤¿à¤¶à¤ªà¥à¤¤ है। जैसे वह तेज़ गति से मृतà¥à¤¯à¥ की तरफ यातà¥à¤°à¤¾ कर रहा है लेकिन उसकी चाल में à¤à¤• उफान है और शमित न हो सकनेवाला उदà¥à¤µà¥‡à¤—। अपने à¤à¥€à¤¤à¤° टाइम-बम को छिपाठहà¥à¤, जिसमें लगी घड़ी की टिक-टिक आवाज़ उसे सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देती है लेकिन नहीं पता कि उसके पास कितना समय है। वह बस इतना जानता है कि उसका अनà¥à¤¤ à¤à¤• विसà¥à¤«à¥‹à¤Ÿ में होगा। इससे अधिक सांघातिक और कà¥à¤¯à¤¾ हो सकता है। यह पल मà¥à¤à¥‡ साथ लेकर जीवन की किसी नई यातà¥à¤°à¤¾ पर ले जाने की जि़द पर अड़ गया है। इसका बढ़ा हà¥à¤† हाथ मेरे सामने है। —इसी संगà¥à¤°à¤¹ से
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About the author
Specifications
- Language: Hindi
- Publisher: Radhakrishna Prakashan
- Pages: 164
- Binding: PaperBack
- ISBN: 9788183618250
- Category: Novel
- Related Category: Modern & Contemporary