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Home Reference Criticism & Interviews Stri Katha Sahitya Aur Hindi Navjagaran (1877-1930)
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Stri Katha Sahitya Aur Hindi Navjagaran (1877-1930)
by Dr. Naiya
4.9
4.9 out of 5
Creators
AuthorDr. Naiya
PublisherVani Prakashan
Synopsisस्त्री कथा-साहित्य और हिन्दी नवजागरण(1877-1930) - अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रान्ति के परिणाम स्वरूप भारतीय समाज के सभी क्षेत्रों में कुछ न कुछ बदलाव हुए। हिन्दी साहित्य का क्षेत्र भी इससे अछूता न रह सका। इसके परिप्रेक्ष्य में नवजागरण शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग डॉ. रामविलास शर्मा ने किया। इसमें उन्होंने भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को हिन्दी नवजागरण का अग्रदूत ठहराया और इस नवजागरण के अन्य लेखकों की कृतियों का विवेचन किया। यह किताब इस नवजागरण की अवधारणा को एक स्त्री दृष्टि से देखने की कोशिश करती है। अगर इस नज़रिये से देखें तो हमें नवजागरण की अवधारणा न सिर्फ़ पुरुष केन्द्रित बल्कि पितृसत्तात्मक भी नज़र आयेगी । लेखिका ने हिन्दी नवजागरण युग के प्रश्नों और उन युगीन समस्याओं पर स्त्री लेखिकाओं के कार्य का गहरा अन्वेषण किया है और बहुत श्रमपूर्वक उस समय के स्त्री लेखन की पाण्डुलिपियों को ढूँढ़ निकाला है, उनका अध्ययन और विश्लेषण भी किया है।