Synopsisभारतीय समाज में बेटी को पराया धन माना जाता है। ऐसा पराया धन, जिसे विवाह के समय वधू के रूप में उसे वर रूपी, लगभग एक अपरिचित व्यक्ति को दानस्वरूप सौंप दिया जाता है। मगर हम भूल जाते हैं कि दान बेटी का नहीं, धन या पशुओं का किया जाता है। बेटी को तो सिर्फ़ अपने घर से उसके नए जीवन के लिए विदा किया जाता है। विवाह उपरांत घर से बेटी के विदा होने की व्यथा क्या होती है, उसे उस घर के माता-पिता और उसके दादा-दादी ही जानते हैं। उसकी कमी उस विलुप्त होती गौरैया की तरह रह-रह कर महसूस होती है, जिसकी चहचहाहट से घर-आँगन और उसकी मोखियाँ गूँजती रहती हैं। इसीलिए बेटियाँ तो उस ठंडे झोंके की तरह होती हैं, जो अपने माता-पिता पर किसी भी तरह के दुःख या संकट आने की स्थिति में सबसे अधिक सुकून-भरा सहारा प्रदान करती हैं। हमारे समाज में आज भी बेटियों की बजाय बेटों को प्रधानता दी जाती है, मगर हम यह भूल जाते हैं कि समय आने पर बेटियाँ ही सबसे अधिक सुख-दुःख में काम आती हैं। आज गौरैया अर्थात् शकुंतिकाएँ हमारे आँगनों और घर की मुँडेरों से जिस तरह विलुप्त हो रही हैं, यह उपन्यास इसी बेटी के महत्त्व का आख्यान है। एक ऐसा आख्यान जिसकी अन्तर्ध्वनि आदि से अन्त तक गूँजती रहती है।
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Binding: HardBack
About the author
जन्म: 23 जनवरी,1960 हरियाणा के ‘काला पानी’ कहे जाने वाले मेवात के नगीना क़स्बे में।
उपन्यास: काला पहाड़ (1999), बाबल तेरा देस में (2004), रेत (2008 एवं 2010 में उर्दू में अनुवाद), नरक मसीहा (2014), हलाला (2016 एवं 2016 में उर्दू में अनुवाद), सुर बंजारन (2017)।
कहानी संग्रह: सिला हुआ आदमी (1986), सूर्यास्त से पहले (1990), अस्सी मॉडल उर्फ़ सूबेदार (1994), सीढ़ियाँ, माँ और उसका देवता (2008), लक्ष्मण-रेखा (2010) तथा दस प्रतिनिधि कहानियाँ (2014)।
स्मृति-कथा: पकी जेठ का गुलमोहर (2016)।
विविध: लेखक का मन (वैचारिकी) (2017)।
कविता संग्रह: दोपहरी चुप है (1990)।
बच्चों के लिए कलयुगी पंचायत (1997) एवं दो पुस्तकों का सम्पादन।
सम्मान/पुरस्कार: श्रवण सहाय एवार्ड (2012), जनकवि मेहरसिंह सम्मान (2010) हरियाणा साहित्य अकादमी, अन्तरराष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा सम्मान (2009) कथा (यूके) लन्दन, शब्द साधक ज्यूरी सम्मान (2009), कथाक्रम सम्मान, लखनऊ (2006), साहित्यकार सम्मान (2004) हिन्दी अकादमी, दिल्ली सरकार, साहित्यिक कृति सम्मान (1999) हिन्दी अकादमी, दिल्ली सरकार, साहित्यिक कृति सम्मान (1994) हिन्दी अकादमी, दिल्ली सरकार, पूर्व राष्ट्रपति श्री आर. वेंकटरमण द्वारा मद्रास का राजाजी सम्मान (1995), डॉ. अम्बेडकर सम्मान (1985) भारतीय दलित साहित्य अकादमी, पत्रकारिता के लिए प्रभादत्त मेमोरियल एवार्ड (1985) तथा शोभना एवार्ड (1984)।
जनवरी 2008 में ट्यूरिन (इटली) में आयोजित भारतीय लेखक सम्मेलन में शिरकत।
पूर्व सदस्य, हिन्दी अकादमी, दिल्ली सरकार एवं हरियाणा साहित्य अकादमी।